Advertisement
आदिवासियों के हितैषी डॉ बीडी शर्मा नहीं रहे
रांची : मध्यप्रदेश कैडर (1966 बैच) के सेवानिवृत्त आइएएस अफसर और आदिवािसयों के िहतैषी डॉ ब्रह्मदेव शर्मा का रविवार की रात ग्वालियर में निधन हो गया. पिछले एक साल से वे बीमार थे. सोमवार को दिन के 12 बजे ग्वालियर के लक्ष्मीनगर श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. डॉ शर्मा आदिवासियों की दुर्दशा […]
रांची : मध्यप्रदेश कैडर (1966 बैच) के सेवानिवृत्त आइएएस अफसर और आदिवािसयों के िहतैषी डॉ ब्रह्मदेव शर्मा का रविवार की रात ग्वालियर में निधन हो गया. पिछले एक साल से वे बीमार थे. सोमवार को दिन के 12 बजे ग्वालियर के लक्ष्मीनगर श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. डॉ शर्मा आदिवासियों की दुर्दशा अौर समस्या के मुद्दे पर लगातार आवाज उठाते रहे. इनका झारखंड से भी काफी नाता रहा. आदिवासियों के लिए कई सरकारी नीतियों के निर्धारण में उन्होंने अहम भूमिका निभायी. डॉ शर्मा बस्तर के जिलाधिकारी के रूप में आदिवासियों के पक्ष में खड़े हुए थे.
छत्तीसगढ़ (सुकमा) के जिला अधिकारी एलेक्स पॉल मेनन को माअोवादियों से छुड़ाने में इनकी अहम भूमिका रही. इसके बाद वे काफी चर्चा में आये. आदिवासियों अौर दलितों के लिए सरकारी नीतियों को लेकर उनके अौर सरकार में मतभेद के कारण वर्ष 1981 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी. इसके बावजूद वे गरीबों व आदिवासियों के लिए लगातार संघर्ष करते रहे. बाद में सरकार ने 1981 में ही उन्हें नार्थ इस्ट विवि, शिलांग का वीसी बनाया. डॉ शर्मा ने भारत जन आंदोलन व किसानी प्रतिष्ठा मंच का गठन भी किया. संघर्ष के दौरान इन्हें कई बार अपमानित भी होना पड़ा अौर हमले के शिकार भी हुए.
कई किताबें लिखीं
रूट्स अॉफ ट्राइबल्स, अनरेस्ट इन इंडिया जैसी किताब लिखने वाले डॉ शर्मा को ही जनजातीय इलाकों के लिए ट्राइबल सब प्लान (उप योजना) शुरू करने का श्रेय जाता है. द वेब ऑफ पोवर्टी (गरीबी का मकड़जाल) के लेखक डॉ शर्मा गैर सरकारी संस्था भारत जन आंदोलन के संयोजक थे, जो जनजातीय व किसान हित के लिए कार्यरत थी. इसी आंदोलन के वैचारिक पक्ष को सुदृढ़ करने के लिए उन्होंने किसान की ललकार, किसान की टूटन व किसानी घोषणा पत्र जैसी अनेक पुस्तिकाएं लिखी हैं.
प्रभात खबर भी आये थे
वह अक्सर झारखंड आते रहते थे. यहां के कार्यक्रमों में शिरकत करते थे. प्रभात खबर ने उनसे कई मौकों पर बात की थी तथा उनका सक्षात्कार प्रकाशित किया था. पेसा पर लिखी उनकी किताब पेसा का मतलब का प्रकाशन सीरीज में किया था. डॉ शर्मा को भी प्रभात खबर से विशेष लगाव था. ऐसे ही एक मौके पर वह प्रभात खबर के कोकर स्थित कार्यालय अाये थे. अपने अभिन्न मित्र बंदी उरांव के साथ. यहां खिंची तसवीर अब डॉ शर्मा की स्मृति शेष रहेगी.
कई लोगों ने शोक व्यक्त किया
झारखंड के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताअों अौर विभिन्न जनआंदोलन से जुड़े लोगों ने डॉ बीडी शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया है. भारत जन आंदोलन अौर किसानी प्रतिष्ठा मंच का गठन कर उन्होंने आदिवासी अौर किसानों के मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचा.
क्षतिपूर्ति संभव नहीं : दयामनी बरला
समाजसेवी दयामनी बरला ने कहा कि डॉ बीडी शर्मा ने गैरआदिवासी होते हुए भी जितना काम आदिवासी समाज के लिए किया, वह कोई दूसरा नहीं कर पाया. वे आजीवन आदिवासी व किसान समाज के हितों की लड़ाई लड़ते रहे. पेसा कानून, ग्राम सभा, जमीन, विस्थापन सहित अन्य मुद्दों पर वे लगातार संघर्ष करते रहे. उन्होंने पूरे देश में जन आंदोलनों को ताकत देने का काम किया है.
डॉ शर्मा का निधन सभी के लिए बड़ी क्षति : बीपी केसरी
बुद्धिजीवी बीपी केसरी ने कहा कि मुझे भी डॉ बीडी शर्मा के साथ काम करने का अवसर मिला था. आदिवासी अौर आम आदमी के मुद्दों पर वे समर्पित होकर काम करते रहे. उनका निधन हम सभी के लिए बड़ी क्षति है.
आदिवासी समाज के मुद्दों पर हमेशा संघर्ष किया : प्रो मलिक
झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन के प्रो संजय बसु मलिक ने कहा कि वे मध्यप्रदेश कैडर के सेवानिवृत्त आइएस अफसर थे. उन्होंने भारत में आदिवासियों के मुद्दों व समस्याअों पर लगातार आवाज उठाते रहे. उनका निधन एक पीढ़ी का अंत है. उन्होंने आदिवासी समाज के मुद्दों पर लगातार संघर्ष किया. जेवियर कुजूर ने कहा कि डॉ बीडी शर्मा ने आदिवासी समाज अौर उनके मुद्दों के बारे में जितना लिखा उतना कोई अौर नहीं लिख पाया.
उनका निधन आदिवासी समाज को लेकर बड़ा झटका है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement