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विद्युत नियामक आयोग की जन सुनवाई: बिजली टैरिफ को उपभोक्ताओं ने सिरे से नकारा

रांची : बिजली कंपनियों के बिजली दर निर्धारण प्रस्ताव को उपभोक्ताअों ने एक सिरे से खारिज कर दिया. उपभोक्ताअों ने इसे बिल्कुल गलत बताया. साथ ही कंपनियों द्वारा पेश आंकड़ों को गलत बताया. उपभोक्ताअों ने कहा कि किसी भी हालत में बिजली दर नहीं बढ़नी चाहिए. पहले कंपनियां निर्बाध बिजली दे. कंपनियों में व्याप्त गड़बड़ी […]

रांची : बिजली कंपनियों के बिजली दर निर्धारण प्रस्ताव को उपभोक्ताअों ने एक सिरे से खारिज कर दिया. उपभोक्ताअों ने इसे बिल्कुल गलत बताया. साथ ही कंपनियों द्वारा पेश आंकड़ों को गलत बताया. उपभोक्ताअों ने कहा कि किसी भी हालत में बिजली दर नहीं बढ़नी चाहिए. पहले कंपनियां निर्बाध बिजली दे.

कंपनियों में व्याप्त गड़बड़ी हटे. इसके बाद दर निर्धारण की दिशा में पहल हो. उपभोक्ताअों ने झारखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष से इसके लिए आग्रह किया. रविवार को आर्यभट्ठ सभागार में आयोग की अोर से जन सुनवाई का आयोजन किया गया था. इसमें बिजली कंपनियों के अधिकारियों व अभियंताअों के अलावा कॉमर्शियल व घरेलू बिजली उपभोक्ता भी शामिल हुए. उपभोक्ताअों ने प्रस्तावित टैरिफ पर अपने सुझाव व आपत्ति दर्ज कराये.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश एनएन तिवारी ने कहा कि इस मामले पर सारे तकनीकी व कानूनी पहलुअों को देखने के बाद जल्द फैसला लिया जायेगा. जस्टिस तिवारी के साथ आयोग के सदस्य वित्त सुनील वर्मा भी उपस्थित थे. वहीं झारखंड बिजली वितरण निगम के जीएम (कॉमर्शियल) पीआर रंजन, रांची के जीएम अोपी अंबष्ठ आदि उपस्थित थे.

उपभोक्ताओं की दलील
स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज के अशोक बियानी ने कहा कि उपभोक्ताअों ने नये टैरिफ प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इसमें कोई बिजनेस प्लान भी नहीं है.
झारखंड चेंबर के एमएस मित्तल ने कहा कि दर बढ़ाना सही नहीं है. ऐसा कर बिजली का नुकसान कम नहीं कर सकते हैं.
एनके पटोदिया ने कहा कि यहां सही तरीके से बिजली नहीं दी जाती है. उद्योगों को बिजली के मामले में राहत देने की जरूरत है.
अंजय पंचेरिवाल ने कहा कि पूरे देश में झारखंड में ही उद्योग के क्षेत्र में बिजली का टैरिफ अधिक है. अधिकतर उपभोक्ता इन बिजली कंपनियों से अलग हटना चाहते हैं.
अजय भंडारी ने कहा कि बिजली कंपनियां लाइसेंसी है, लेकिन अपने को सरकार मानती है. कानून का मजाक बना दिया है. पहले अपने कानून मानें, फिर टैरिफ बढ़ाये.
एस पोद्दार व महेश संथानिया ने भी कहा कि टैरिफ किसी भी हाल में नहीं बढ़े. उन्होंने कहा कि बिजली का दर बढ़ाना गलत होगा. यह कहीं से भी सही
नहीं है.
वाइके अोझा ने कहा कि बिजली बोर्ड ने 7000 करोड़ का नुकसान किया है. नये टैरिफ से आम लोगों के साथ ही उद्योग भी प्रभावित होंगे.
केदार नाथ लाल दास ने कहा कि आयोग कंपनियों के आवेदन पर सुनवाई ही नहीं करे. इसे नकार देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां जनता को 18 घंटे बिजली नहीं मिलती है.
अवधेश अभिषेक नेवाली ने कहा कि रिश्वतखोरी तक कंपनियों में है. ऐसे में पहले वे इमानदार हों, अनुशासित हों, तभी नये दर निर्धारण पर बात होनी चाहिए.
दीपक मारू, केके जालान, धनंजय कुमार, विनोद तुलस्यान, विनोद शर्मा, नीतीन भगोदिया ने भी इसे सिरे से खारिज किया है. कहा कि कंपनी किसी का आदेश नहीं मानती. नये टैरिफ पर बात ही न हो.
बढ़िया टैरिफ का प्रस्ताव दिया है : सीडी कुमार
आयोग के समक्ष झारखंड बिजली वितरण निगम के अभियंता प्रमुख सीडी कुमार ने कंपनी की बातें रखी. उन्होंने प्रस्तावित टैरिफ को आज की आवश्यकता बतायी. साथ ही कहा कि कंपनी ने बढ़िया व सशक्त टैरिफ का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने उपभोक्ताअों की बातों को खारिज किया. कहा कि कंपनियों को बढ़ाने व बिजली देने के लिए यह जरूरी है कि इस प्रस्ताव को पास किया जाये. उन्होंने विस्तार से अपनी बातें आयोग के अध्यक्ष के समक्ष रखी.
शैशव काल से बढ़ने के लिए टैरिफ जरूरी: एएजी
एडिशनल एडवोकेट जेनरल अजीत कुमार ने कहा कि अभी कंपनी नयी-नयी है. पहले झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड था. शैशव काल से बढ़ने के लिए कंपनी के लिए नया टैरिफ जरूरी है. उन्होंने दर निर्धारण के पक्ष में अपनी बातें रखी. आयोग को सारे पहलूअों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि लंबे समय से दर का निर्धारण नहीं हुआ है. ऐसे में भी यह आवश्यक है. उन्होंने कानूनी पहलुअों पर भी अपनी बातें रखी.
सारे पहलुओं को देखने के बाद करेंगे फैसला : जस्टिस एनएन तिवारी
दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एनएन तिवारी ने कहा कि टैरिफ को लेकर कई सुझाव व आपत्ति मिले हैं. सारे पहलुअों को देखा जायेगा. तकनीकी व कानूनी पहलुअों पर भी विचार किया जा रहा है. टैरिफ बढ़ाने या नहीं बढ़ाने, दोनों मामलों में दस्तावेज मिले हैं. काफी महत्वपूण जानकारी दी गयी है. आयोग इसमें विधि सम्मत फैसला लेगा.

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