रांची: कहा अली ने कि क्या कुछ नहीं किया मैंने. नबी के वास्ते सब जुल्म सह लिया मैंने .. अली के नाम से एक इनकलाब आता है, अली के नाम से जुल्म कांप जाता है.. और खुदा का नाम है ये.जैसे नौहा के बीच शिया मुसलमानों ने दस मुहर्रम को नवासे रसूल का गम मनाया. मसजिद ए जाफरिया परिसर में नमाजे आमाले आशुरा, नमाजे जुमा और मजलिसे रोश आशुरा मजलिस के बाद अलम और ताबूत निकाला गया, जिसमें कई लोगों ने मर्सिया पेश की.
जंजीरी मातम में जवान, बूढ़े और बच्चों ने अपने जिस्म को लहुलूहान कर शहादत का जज्बा दिखाया. मातमी जुलूस चर्च रोड होते हुए टैक्सी स्टैंड पहुंचा, जहां पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने दस्ते पर गुलाब जल का छिड़काव किया. वहां बड़ी संख्या में अकीदतमंद जुटे थे. टैक्सी स्टैंड के बाद जुलूस उर्दू लाइब्रेरी पहुंचा, जहां मौलाना तहजीबुल हसन रिजवी ने इसलाम और अमन शांति का पैगाम दिया.
इसके बाद जुलूस फतेहउल्लाह रोड, विक्रांत चौक, करबला चौक पहुंचा, जहां बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने उसकी आगवानी की. नौहाखानी में कासिम अली, अमजद अली, असगर इमाम, अशरफ रिजवी, अली रजा, अशहर हुसैन शामिल थे. जुलूस में डॉ अंजार हुसैन, नज्म हुसैन, डॉ शीन अख्तर, अमीर हुसैन रिजवी, इकबाल हुसैन फातमी, एमएच फातमी, अली इमाम, फराज अब्बास, सैफ अली, गुलाम सरवर, तनवीर हुसैन, शब्बीर हुसैन, अली अहमद, नासरी हुसैन, अज्म हैदरी समेत काफी संख्या में लोग शामिल थे.