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40 के बाद हर साल करायें टीएमटी व इसीजी

40 के बाद हर साल करायें टीएमटी व इसीजीकर्मचारी राज्य बीमा योजना के एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में बोले डॉ हेमंत नारायणफोटो कौशिक——संवाददाता, रांची40 साल की उम्र के बाद प्रत्येक व्यक्ति को हर साल टीएमटी व इसीजी कराना चाहिए, लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण लोग स्क्रीनिंग नहीं कराते हैं. इससे हृदय की बामारी की […]

40 के बाद हर साल करायें टीएमटी व इसीजीकर्मचारी राज्य बीमा योजना के एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में बोले डॉ हेमंत नारायणफोटो कौशिक——संवाददाता, रांची40 साल की उम्र के बाद प्रत्येक व्यक्ति को हर साल टीएमटी व इसीजी कराना चाहिए, लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण लोग स्क्रीनिंग नहीं कराते हैं. इससे हृदय की बामारी की जानकारी समय पर नहीं हो पाती है और अचानक व्यक्ति को हृदयाघात हाे जाता है. यह बात रिम्स के हृदय विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हेमंत नारायण राय ने कही. वह बीएनआर होटल में कर्मचारी राज्य बीमा योजना द्वारा आयोजित बीमा चिकित्सकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक में कई बार मरीज का इसीजी सामान्य रहता है, लेकिन बाद में पता चलता है कि मरीज को हृदयाघात हुआ है. चिकित्सक को दोबारा इसीजी करा कर आश्वस्त होना चाहिए. रिम्स ओपीडी में हर माह तीन से चार एेसे मरीज आते हैं जिनका इसीजी सामान्य होता है, लेकिन ट्रापनीन की जांच में हार्ट अटैक का पता चलता है. प्लास्टिक सर्जन डॉ अनंत सिन्हा ने कहा कि सामान्य बर्न के मरीज का प्राथमिक इलाज शुद्ध पानी में जले हुए अंग को रखना होता है. 15 मिनट तक नल (रनिंग वाटर) के नीचे रखना चाहिए. इसके बाद चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए. बच्चों को पांच साल तक जलने से बचाने में अभिभावक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. स्किन टैप से बर्न में बेहतर रिजल्ट मिलता है. मरीज एक सप्ताह में पूरा स्वस्थ हो जाता है. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में चिकित्सा आयुक्त डाॅ एसके मुरमू, चिकित्सा अधीक्षक डॉ एके शर्मा, प्रभारी निदेशक डॉ संजय कुमार मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ दिनेश कुमार राकेश ने किया. मौके पर डॉ दिनेश कुमार, डॉ सुरेश, डॉ विनीता जया एवं कर्मचारी किशोर सिन्हा, धीरज, शिवनाथ नायक, प्रदीप कुमार व अन्य उपस्थित थे. कार्यशाला जरूरी, मिलती है नयी जानकारी : मृदुला सिन्हामुख्य अतिथि निदेशक पोषण मिशन मृदुला सिन्हा ने कहा कि चिकित्सकों के लिए आयोजित ऐसी कार्यशाला से मेडिकल साइंस में हो रहे नये शोध की जानकारी मिलती है. यह लगातार होना चाहिए. चिकित्सक जितना मरीज को परामर्श देंगे उनका अनुभव उतना ही बढ़ेगा. \\\\B

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