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कार्यशाला: जल सुरक्षा, जल संरक्षा व जल नीति विषय पर मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा शुद्ध जल देना हमारी जिम्मेवारी

रांची: पर्याप्त मात्रा में जल की उपलब्धता तथा शुद्ध व स्वच्छ पेयजल एक गंभीर मुद्दा है. पानी उद्योग-धंधों तथा अाम लोगों की गलत अादतों से गंदा हो रहा है. इसके कम होने के पीछे भी इसका गलत इस्तेमाल करना है. जहां एक-दो लीटर से काम चल सकता है, वहां हम 10-20 लीटर पानी खर्च करते […]

रांची: पर्याप्त मात्रा में जल की उपलब्धता तथा शुद्ध व स्वच्छ पेयजल एक गंभीर मुद्दा है. पानी उद्योग-धंधों तथा अाम लोगों की गलत अादतों से गंदा हो रहा है. इसके कम होने के पीछे भी इसका गलत इस्तेमाल करना है. जहां एक-दो लीटर से काम चल सकता है, वहां हम 10-20 लीटर पानी खर्च करते हैं.
पर सबको पर्याप्त व शुद्ध पेयजल देना हमारी जिम्मेवारी है. पेयजल सह जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने यह बातें कही. वह झारखंड में जल सुरक्षा (सिक्यूरिटी), जल संरक्षा (सेफ्टी) व जल नीति विषय पर अायोजित दो दिवसीय (27-28 नवंबर) कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन राज्य सरकार, यूनिसेफ तथा गैर सरकारी संस्था युगांतर भारती के संयुक्त तत्वावधान में होटल बीएनआर, चाणक्य में किया गया. चौधरी ने कहा कि पलामू व प सिंहभूम सहित हमारे कुछ जिले पेयजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड तथा आयरन की समस्या से जूझ रहे हैं. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कार्यशाला में विशेषज्ञ जो सुझाव देंगे, राज्य सरकार उस पर अमल करेगी.
भूगर्भ जल पर निर्भरता कम करनी होगी : एपी सिंह
पेयजल व स्वच्छता सचिव एपी सिंह ने कहा कि हमारे राज्य में राजस्थान, यूपी, कर्नाटक व पं बंगाल की तरह जल समस्या तो नहीं है, पर भूगर्भ जल पर हमारी निर्भरता अत्यधिक (करीब 85-88 फीसदी) है. इसे कम करना होगा. क्योंकि हमारे राज्य में सालों भर बहनेवाली समृद्ध नदियां नहीं हैं, जिनसे भूगर्भ जल भी रिचार्ज होता हो. हमारी एक महत्वपूर्ण नदी दामोदर का हाल सबको पता है.

वर्षा जल के संरक्षण तथा जल की गुणवत्ता के मामले में हमें अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी. सचिव ने बताया कि स्वच्छता तथा जल की गुणवत्ता जैसे मुद्दे हमारे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 10 से 15 फीसदी कम कर देते हैं. दरअसल आबादी के बढ़ते दवाब से प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता भी कम हो रही है. इसलिए पानी बचाना व इसकी गुणवत्ता बढ़ाना दोनों जरूरी है.

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