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नियमित मॉनिटरिंग और टीचर से फीडबैक लें

नियमित मॉनिटरिंग और टीचर से फीडबैक लें 11वीं का विद्यार्थी, अभिभावक की अबूझ पहेली विकास जी का लाेगो भी लगेगा………………….मई में 10वीं की परीक्षा के बाद 10 सीजीपीए के सरोवर में नहाया विद्यार्थी जब सितंबर में हाफ इयरली परीक्षा देता है, तो वह अपने मन के एयरपोर्ट की जगह मेन रोड के चौराहे पर महसूस […]

नियमित मॉनिटरिंग और टीचर से फीडबैक लें 11वीं का विद्यार्थी, अभिभावक की अबूझ पहेली विकास जी का लाेगो भी लगेगा………………….मई में 10वीं की परीक्षा के बाद 10 सीजीपीए के सरोवर में नहाया विद्यार्थी जब सितंबर में हाफ इयरली परीक्षा देता है, तो वह अपने मन के एयरपोर्ट की जगह मेन रोड के चौराहे पर महसूस करता है़ उसे पहली बार अहसास होता ही कि उसके माता- पिता बचपन से ठीक बोलते थे कि लाइफ स्ट्रगल है़ उसे अपने प्रिंसिपल की मॉर्निंग असेंबली की बात याद आती है कि बेटा स्कूल में नियमित आया करो़ क्लास टीचर की बात याद आती है कि जो पढ़ाया जाता है उसे घर में रिवाइज कर लो़ अभिवावक यह समझ नहीं पाते हैं कि जो बच्चा 10वीं तक इतना अच्छा कर रहा है वह पिछड़ क्यों रहा है? कई वर्तमान सत्य को स्वीकार नहीं करते और ये समझ कर जरूरत से ज्यादा निराश हो जाते हैं कि कई विद्यार्थी बहुत अच्छा करते हैं. पर अधिकतर अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं………………………………… यहां दो बातें समझना बहुत जरूरी है 1़ नंबर कम आने का मतलब बिलकुल नहीं है कि वह अच्छा नहीं करेंगे़ लेकिन जिस पाेर्शन में उन्हें अच्छा नहीं किया है उस पर फिर से ध्यान देना चाहिए. नहीं तो प्रतियोगी परीक्षा में सफलता संदिग्ध हो जायेगी़ 2़ हर वर्ष विद्यार्थी इस तरह की भूल करते हैं, पर जो अपना सही मूल्यांकन कर पढ़ाई में लग जाते हैं वह 12वीं में बहुत अच्छा करते हैं. 11वीं की फाइनल परीक्षा में भी संतोषजनक परिणाम लाते हैं………………………………………. बेहतर नहीं करने का कारण – स्वाध्याय पर ध्यान नहीं देना – स्कूल नियमित नहीं जाना – स्कूल एवं कोचिंग में संतुलन नहीं बना पाना – पढ़ाई नियमित करना पर परीक्षा आधारित न होकर ज्यादा डिटेल स्टडी करना – फेसबुक, वॉट्सएप पर देर रात तक रहना और ठीक से सो नहीं पाना – दोस्तों की संगत या आलस्य है जिम्मेदार – पढ़ाई नियमित करते हैं पर कांसेप्ट क्लियर नहीं – तीनों विषय में किसी एक में सबसे ज्यादा कठिनाई होती है, जिससे बाकी विषय के लिए समय नहीं मिल पाता है – पढ़ने से ज्यादा समय प्लानिंग में लगाते हैं – नंबर कम आने की स्थिति में अपने को जिम्मेदार कम और दूसरे को ज्यादा मानते हैं ………………………………….. जिनके बच्चे अच्छे कर रहे हैं, वो निम्न बातों पर ध्यान दें – इंजीनियरिंग जेइइ एडवांस में अच्छा करने के लिए बेसिक कांसेप्ट के महत्व को समझें. एक जिस टीचर और सिस्टम से पढ़ रहे हैं उन पर पूरा विश्वास करते हुए पढ़ाई जारी रखें. मार्च 2016 में 12वीं की फाइनल परीक्षा और कोचिंग के टेस्ट के आधार पर यह निर्णय लें कि उन्हें जेइइ एडवांस्ड में और अच्छा करने के लिए जोर लगाना है, या जेइइ पर फोकस करना है़ उन्हें स्टेट एंट्रेंस एग्जाम पर फोकस करना है या सिर्फ बोर्ड परीक्षा पऱ सफलता का सूचकांक : रांची और झारखंड से सैकड़ों बच्चे हर वर्ष आइआइटी में क्वालीफाई करते हैं और हजारों बच्चे सही निर्णय के कारण लक्ष्य से दूर रह जाते हैं. लक्ष्य निर्धारण एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है…………………..मेडिकल : मेडिकल एक बेहतरीन कैरियर है़ इसमें जाना एक बड़ी उपलब्धि है़ मेडिकल की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को अभिवावक को एक बात समझना होगा, मैथ नहीं पढ़ पाना मेडिकल में सफलता की कुंजी नहीं है़ मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम के लिए फिजिक्स में भी अच्छा करना बहुत जरूरी है़ सही ढंग और सही समय से तैयारी करने पर सभी एंट्रेंस एग्जाम में सफलता मिलती है़ 11वीं के फाइनल के बाद स्पष्ट निर्णय लेना चाहिए कि उनमें एंट्रेंस एग्जाम क्वालीफाई करने की क्षमता है या नहीं है. कई बच्चे जो 12वीं में रुक कर बोर्ड पर ध्यान देते हैं और अच्छा करते हैं, वह एक वर्ष बाद रूक कर भी क्वालीफाई कर लेते है़ं जो बिना सोचे समझे द्वंद में फंसे रहते हैं वह एक साल रूक कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं. जो मेडिकल कर सकते हैं उन्हें पूरी तैयारी करनी चाहिए़ नहीं तो मेडिकल के अन्य क्षेत्र एग्रीकल्चर, होमियोपैथी,फार्मेसी या अन्य दूसरे क्षेत्र के लिए शुरू से ही सोचना चाहिए़ अभिवावक सही मूल्यांकन करें नहीं, तो बच्चे अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं. दिशाहीन हो जाते हैं. ……………………….कॉमर्स के विद्यार्थी के लिए कॉमर्स के विद्यार्थी के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेकर लॉ, फैशन, बिजनेस मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट, जर्नलिज्म, बड़े विश्वविद्यालय से बी कॉम के सुनहरे अवसर मौजूद हैं. इन क्षेत्र में जाने के लिए भी उन्हें तैयारी शुरू से करनी चाहिए. इन विद्यार्थियों को बोर्ड में बहुत अच्छा नंबर लाना बहुत जरूरी है, क्योंकि ग्रेजुएशन में नामांकन का कट ऑफ भी बहुत हाई जाता है़ साथ ही 12वीं की शुरुआत में ही अपना लक्ष्य तय कर लेना चाहिए़ कई बच्चे 11वीं में बहुत समय इधर-उधर के काम में लगते हैं, इससे अभिवावकों को हतोत्साहित नहीं होना है. अपने बच्चे की क्षमता को समझते हुए उचित प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगा देना चाहिए़………………………………. माता-पिता के लिए यह जरूरी – शिक्षक से नियमित फीडबैक लें और उसपर अमल करने के लिए अपने बच्चे को प्रोत्साहित करें. – स्कूल और कोचिंग में विद्यार्थी के परफॉरमेंस का निष्पक्ष मूल्यांकन करें. सही लक्ष्य चुनने में अपनी सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभायें. – स्वयं को तनाव मुक्त रखें. विद्यार्थी के तनाव के सही कारण का पता लगायें – संवादहीनता में कमी नहीं आने दें – दोस्तों से फीडबैक लें – सोशल मीडिया के उपयोग पर नजर रखें – ज्यादा किताब होना, ज्यादा सफल होने की निशानी नहीं है़ शिक्षक के सलाह पर ही अतिरिक्त किताब दें – प्रतियोगी परीक्षा में सफलता और असफलता से अपने जीवन की सार्थकता को न जोड़ें , बच्चे के लिए हानिकारक है़ – घर का माहौल पढ़ाई के अनुकूल बनायें पर इतना परेशान न हो कि बाकी सब कुछ भूल जायें. – जिस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उसका कट ऑफ क्या जाता है? परीक्षा का पैटर्न क्या है? परीक्षा का मार्किंग स्कीम क्या है? सीट कितनी है? रिजर्वेशन और डोमेसाइल पाॅलिसी क्या है? कॉलेज का कट ऑफ फर्स्ट राउंड से लेकर लास्ट राउंड तक क्या है? आदि का अध्ययन करें.

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