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पहले कदम के लिए तैयार

पहले कदम के लिए तैयारबच्चों के एडमिशन की तैयारी में जुटे अभिभावक बच्चों के एडमिशन को लेकर अभिभावक परेशान हैं. बेटा हो या बेटी सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे का एडमिशन बड़े स्कूल में हाे जाये़ माता-पिता बच्चों के एडमिशन की तैयारी में जुट गये हैं. पिता विभिन्न स्कूलों का फाॅर्म जमा करने में […]

पहले कदम के लिए तैयारबच्चों के एडमिशन की तैयारी में जुटे अभिभावक बच्चों के एडमिशन को लेकर अभिभावक परेशान हैं. बेटा हो या बेटी सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे का एडमिशन बड़े स्कूल में हाे जाये़ माता-पिता बच्चों के एडमिशन की तैयारी में जुट गये हैं. पिता विभिन्न स्कूलों का फाॅर्म जमा करने में व्यस्त हैं, तो मां बच्चे को घर में पढ़ा रही हैं. एडमिशन टेस्ट के लिए तैयार करने में जुटी हैं. जेनरल नॉलेज से लेकर सभी कुछ सिखाने की कोशिश की जा रही है. मां सुबह-शाम बच्चों को कई तरीके से तैयारी में जुटी हुई हैं. कोई किताब, तो कोई नयी तकनीक का सहारा ले रहा है. कई अभिभावकों का कहना है कि बच्चे स्कूल में बेहतर तरीके से टेस्ट दे दें, तो हमारी सभी चिंता खत्म हो जायेगी़ राजधानी के भी कई अभिभावक बच्चों को प्रेप में एडमिशन के लिए घर में तैयारी करा रहे है़ पेश है पूजा सिंह @ रांची की यह रिपोर्ट. ………………………………………..वीडियो क्लिप से करा रही हैं तैयारी विद्या भगत, बेटी वैष्णवी (फोटो फोल्डर में )प्ले स्कूल में बच्चे के नामांकन कराने से काफी मदद मिली है़ एक्सट्रा एक्टिविटी से लेकर स्टोरी, माई सेल्फ, नाम पता आदि पूरी तरह से याद करा दिया है़ इसलिए एडमिशन के लिए ज्यादा प्रेशर नहीं है. यह कहना है वर्द्धमान कंपाउंड की रहनेवाली विद्या भगत का़ वह बेटी वैष्णवी के एडमिशन के लिए अभी से ही घर में प्रैक्टिस करा रही है़ं पढ़ाई के साथ हर तरह की जानकारी देने की कोशिश कर रही हैं. स्कूल की स्टडी को रिवीजन के आलवा ओरल भी कराती है़ं वह कहती हैं कि बेटी की स्टडी में वीडियो क्लिप से काफी सहायता मिल रही है़ ……………………………………………बेटे को खेल-खेल में पढ़ाने की कोशिशक्षमा त्रिपाठी, बेटा अवरतमन (फोटो फोल्डर में )मोरहाबादी की रहनेवाली क्षमा त्रिपाठी बेटे अवरतमन के लिए जेवीएम श्यामली अौर संत जेवियर स्कूल का फॉर्म सबमिट की हैं. वह कहती हैं कि छोटे बच्चे को पढ़ाना बहुत कठिन काम है़ इसलिए प्ले स्कूल में एडमिशन कराया, ताकि बेटा कुछ सीख सके़ हालांकि बड़े स्कूल में एडमिशन के लिए बेटे को खेल-खेल में पढ़ाने की कोशिश की जा रही है. बाजार में जब भी कोई कविता की किताब या सीडी मिलती है, तो उसे खरीदती हूं. घर में ज्यादा बातचीत इंगलिश में ही होती है, ताकि वह इसे जल्दी सीखे. ओवर ऑल डेवलपमेंट के लिए एक्सट्रा एक्टीविटी पर ध्यान दिया जा रहा है. इस दौरान काफी खर्च भी हुए. हालांकि एडमिशन खर्च को बोझ नहीं माना जा सकता. बच्चों का भविष्य स्कूल से ही शुरू होता है़ ………………………………रूमा बिश्वास, बेटा आकाश (फोटो सुनील )नगड़ा टोली की रहने वाली रूमा विश्वास बेटा आकाश के भविष्य के लिए काफी चिंतित है़ उन्होंने आकाश के नामांकन के लिए बिशप, संत जेवियर और डीपीएस जैसे कई स्कूलों का फार्म भर चुकी है़ उनका कहना है कि बेटे का नामांकन अच्छे स्कूल में हो जाये इससे अच्छा और क्या होगा़ इसलिए टेस्ट के लिए पहले से ही प्ले स्कूल के अलावा घर में तैयारी करा रहे है़ मैथ्स में जोड़,घटाओ के अलावा हल्का सामान्य ज्ञान भी सीखाने का प्रयास कर रहे है़ नयी तकनीक के आने से भी काफी मदद मिला है़ कविता आदि के विडियो क्लिप डाउनलोड करके भी सीखाने की कोशिश कर रहे है़ इस बात का भी ध्यान रखते है कि उसे पढ़ाई का ज्यादा प्रेशर न दे़ वह खेलते खेलते पढ़ने की कोशिश करता है तो हम भी उसे वैसे ही तरीके से पढ़ाने का प्रयास करते है़ …………………………………………………..परिवार पर एडमिशन का प्रेशर शिखा अग्रवाल, बेटी तृषा (फोटो सुनील )बीके सहाय कंपाउंड की रहनेवाली शिखा अग्रवाल को उम्मीद है कि बेटी का एडमिशन बेस्ट स्कूल में हो जाएगा. वह कहती हैं कि बेटी का एडमिशन बड़े स्कूल में हो जाये, इसको लेकर थोड़ा दबाव है. घर के सभी लोग बेटी तृषा से अंगरेजी में ही बात करते है़ क,ख,ग आदि सीडी से सिखाने की कोशिश की़ इस दौरान एक्सट्रा खर्च बढ़ गया है, लेकिन इसके लिए हम पहले से तैयार थे़ घर के सभी सदस्य तृषा के नामांकन को लेकर गंभीर है़ सभी अपने तरीके से उसे पढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं. ………………………………………………आरती खेमका, बेटी स्नेहल (फोटो सुनील )थड़पखना की आरती खेमका का मानना है कि जब तक बच्चे का नामांकन अच्छे स्कूल में न हो जाये तब तक अभिभावकों की परेशानी बनी रहती है़ वह बेटी स्नेहल खेमका के एडमिशन के लिए लॉरेटो, संत थॉमस, डीपीएस का फाॅर्म भर चुकी है़ं सबसे ज्यादा बेटी को अंगरेजी सीखाने पर ध्यान दे रही हैं. वह कहती हैं कि स्नेहल प्ले स्कूल में पढ़ती है. इसके बाद घर में समय निकाल कर उसे पढ़ाती हैं. एक्सट्रा एक्टीविटी पर भी ध्यान दे रही हैं, ताकि टेस्ट में पीछे न रहे. वह कहती हैं कि बेटी को खेलने के लिए एजुकेशनल टॉय देती हैं. हालांकि बेटी के नामांकन में घर का बजट बिगड़ना तय था, इसलिए पहले से ही इसकी तैयारी कर चुकी थीं. ………………………..अभिभावकों पर पड़ रहा प्रेशर अभिभावक बच्चों के एडमिशन (प्ले ग्रुप) को लेकर काफी दबाव में हैं. उनका कहना है कि इस उम्र में बच्चे को पढ़ाना सबसे कठिन काम है़ वह किसी भी प्रकार से पढ़ने को तैयार ही नहीं होते है़ पिक्चर, वीडियो आदि के माध्यम से पढ़ाने की कोशिश की जा रही है. एक बार बच्चों का नामांकन बड़े स्कूल में हो जाये, तो सभी परेशानी दूर हो जायेगी़ बच्चे को माई सेल्फ, नाम पता, स्टोरी टेलिंग, पिक्चर टेलिंग के अलावा अन्य चीजें सीखायी जा रही है़ …………………………………पड़ रहा अधिक खर्च का बोझ प्ले ग्रुप में एडमिशन के लिए कई अभिभावक तीन से पांच स्कूलों का एडमिशन फाॅर्म भर चुके है़ं कई अभिभावकों का कहना है कि प्ले स्कूल में नामांकन के लिए चार स्कूलों का फाॅर्म ला चुके है़ं इस कारण नवंबर का पूरा बजट ही बिगड़ गया है़ जब तक नामांकन न हो जाये अतिरिक्त बोझ पड़ेगा ही़

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