जमशेदपुर में मुर्दे द्वारा जमीन बेचे जाने का मामला कांति सिन्हा के आवेदन पर जांच के बाद पकड़ में आया. उन्होंने बोर्ड में आवेदन दे कर यह शिकायत की थी उनके पति की मौत के 22 साल बाद किसी ने जालसाजी कर उनके पति का फर्जी हस्ताक्षर कर जमीन आवंटित करा ली. इसके बाद एक फर्जी व्यक्ति को उनका पुत्र बता कर जमीन उसे बेच दी गयी. इस शिकायत पत्र की जांच करायी गयी.
इसमें यह पाया गया कि एकीकृत बिहार के समय शिव मंगल सिन्हा ने जमीन के लिए बोर्ड में आवेदन दिया था. उनकी मौत 1984 में हो गयी. इसके बाद आवास बोर्ड ने 1999 में उनके नाम पर प्लाट संख्या एम/55 आवंटित किया. हालांकि उनकी पत्नी को आवंटन आदेश की प्रति नहीं मिली.
जांच में पाया गया कि जमशेदपुर के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बीके लाल (अब सेवानिवृत्त) और सहायक ताहिर हुसैन खान से मिल कर किसी ने वर्ष 2006 में खुद को शिव मंगल सिन्हा बताया. साथ ही 28 फरवरी 2006 को जमीन लेने के लिए बोर्ड के साथ निबंधित एकरारनामा कर लिया. बोर्ड के तत्कालीन अधिकारियों ने 18 मार्च 2006 को इस फर्जी शिव मंगल सिन्हा को जमीन पर दखल कब्जा भी दिला दिया. इसके बाद शिव मंगल सिन्हा को मृत बताते हुए वर्ष 2007 में यह जमीन विनय कुमार के नाम हस्तांतरित कर दी गयी.
इसके लिए विनय कुमार को स्वर्गीय शिव मंगल सिन्हा का पुत्र बताया गया. अक्तूबर 2007 में बोर्ड ने इस हस्तांतरण पर अपनी मंजूरी दे दी. वर्ष 2009 में बोर्ड ने जमीन के लिए मूल और सूद की गणना कर इसकी सूचना दी. वर्ष 2015 में विनय कुमार ने बोर्ड को फिर से सूद और मूल की गणना के लिए आवेदन दिया. इस बीच कांति सिन्हा ने अपने पति का नाम पर जालसाजी करने की शिकायत बोर्ड से की और मुर्दे के नाम पर जमीन बेचने का यह मामला पकड़ में आया.