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श्रेष्ठो दुर्गा पूजा का जोड़

श्रेष्ठो दुर्गा पूजा का जोड़ रंगोली प्रतियोगिता के विजेता सम्मानितदीपावली के अवसर पर प्रभात खबर द्वारा रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. प्रतियोगिता में अपने घर में बनायी रंगोली का चित्र प्रभात खबर को मेल करना था. इस प्रतियोगिता में सैकड़ाें प्रतिभागियों ने भाग लिया. इनमें से छह लोगों को विजयी घोषित किया गया. […]

श्रेष्ठो दुर्गा पूजा का जोड़ रंगोली प्रतियोगिता के विजेता सम्मानितदीपावली के अवसर पर प्रभात खबर द्वारा रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. प्रतियोगिता में अपने घर में बनायी रंगोली का चित्र प्रभात खबर को मेल करना था. इस प्रतियोगिता में सैकड़ाें प्रतिभागियों ने भाग लिया. इनमें से छह लोगों को विजयी घोषित किया गया. श्रेष्ठो दुर्गा पूजा पुरस्कार समारोह में इन विजेताओं को भी सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वालों में प्रज्ञा किरण, पीयुष जायसवाल, अंजली कुमारी, निशा कुमारी, दिवांशी एवं श्रेयसी शामिल है. विजेताओं को प्रभात खबर के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर आरके दत्ता ने सम्मानित किया.विभिन्न केटेगरी में सम्मानितबेस्ट ओवरऑल: रेलवे स्टेशन व आर आर स्पोर्टिंगमोस्ट अटेंडेड: कबरी बाजारमूर्तिकार: जगदीश पॉलबेस्ट आइडियल: हरमू पंच मंदिर प्रथम, राजस्थान मित्र मंडल द्वितीय व नेताजी नगर कांटाटोलीआइडियल ट्रेडिशनल: देशप्रिय क्ल्ब प्रथम व मेकॉन द्वितीयलाइटिंग: बांधगाड़ी प्रथम व बिहार क्ल्ब द्वितीयक्रियेटिव पंडाल: ओसीसी प्रथम, प्रगति प्रतीक द्वितीयपंडाल इंटीरियर: गीतांजलि प्रथम व राजस्थान मित्रमंडल द्वितीयपंडाल एक्सटर्नल: सत्य अमरलोक प्रथम अरगोड़ा द्वितीयमहाभोग: हिनूक्लचरल एक्टिविटी: सेल व हिनू (बंगाली मंडप)बेस्ट ट्रेडिशनल: दुर्गा बाड़ी व हरमति मंदिरबेस्ट मैनेजमेंट: एसडीओ व फारेस्ट डीएफओ————राजधानी में दुर्गा पूजा विस्तार रूप लेता रहा है. इस वर्ष पूजा पंडाल में सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गयी थी. पूजा समितियों ने बेहतर व आकर्षक पंडाल का निर्माण कराया था. मुझे लगता है कि श्रेष्ठाे पूजा प्रतियोगिता से समितियों में श्रेष्ठ बनने की प्रतिस्पर्धा होती है. बेद विनोचा पूजा पंडालों में सीढ़ी चढ़ कर मां की प्रतिमा तक पहुंचनेवाले पंडाल का निर्माण नहीं करना चाहिए. इससे हादसा की संभावना रहती है. मेरे हिसाब से पंडाल का आकार छोटा होना चाहिए. पंडाल में प्रवेश करने एवं निकलने का रास्ता चौड़ा होना चाहिए. मूर्ति निर्माण का प्रचलन वर्ष 1937 से शुरू हुआ था. इसे झालदा से शुरू किया गया था. अमिताभ कुमारहर साल समितियों द्वारा बेहतर पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. पारंपरिक पूजा का आयोजन भी भव्य होने लगा है. पहले सिर्फ मॉडर्न पूजा पंडाल के लिए ही प्रतियोगिता होती थी. बाद में पारंपरिक पूजा समितियों को भी शामिल कर लिया गया. पूजा पंडाल एवं मूर्ति के निर्माण के लिए स्थानीय करीगरों को कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षित किया जाये तो स्थानीय लोगों को रोजगार का मौका मिलेगा. महुआ मांझी

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