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फ्रेंचाइजी से बिजली वितरण का रास्ता साफ

रांची : रांची आैर जमशेदपुर में निजी फ्रेंचाइजी कंपनियों के माध्यम से बिजली वितरण का रास्ता साफ हो गया है. गुरुवार को हाइकोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का निजी फ्रेंचाइजी के साथ किये गये एग्रीमेंट को रद्द करने संबंधी आदेश को खारिज कर दिया. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने उक्त फैसला सुनाया. […]

रांची : रांची आैर जमशेदपुर में निजी फ्रेंचाइजी कंपनियों के माध्यम से बिजली वितरण का रास्ता साफ हो गया है. गुरुवार को हाइकोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का निजी फ्रेंचाइजी के साथ किये गये एग्रीमेंट को रद्द करने संबंधी आदेश को खारिज कर दिया. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने उक्त फैसला सुनाया.

प्रार्थियों की याचिकाअों को स्वीकार कर लिया. पूर्व में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने अपने फैसले में जमशेदपुर के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड व रांची के लिए रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के साथ वर्ष 2012 में किये गये करार को उचित ठहराया. रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कलकत्ता इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी(सीइएसइ) की अनुषंगी कंपनी है. अदालत ने कहा कि बिजली वितरण का मुद्दा जनहित से जुड़ा हुआ है. इस पर जल्द से जल्द कार्रवाई शुरू की जाये. इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाये. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया ने अदालत को बताया था कि जेएसइबी के साथ एग्रीमेंट होने के बाद टाटा पावर कंपनी लिमिटेड ने काम शुरू कर दिया था. बिजली वितरण का सिस्टम तैयार किया जाने लगा.
सिस्टम तैयार करने के लिए उन्होंने करोड़ों रुपये अब तक लगा दिये हैं. इस बीच तत्कालीन ऊर्जा मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के आदेश पर कार्य रोक दिया गया. झारखंड बिजली वितरण निगम लिमटेड ने कंपनी के साथ किये गये एग्रीमेंट को रद्द कर दिया. उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कार्य जब हम टेक अोवर करनेवाले थे, उस वक्त करार रद्द कर दिया गया. फ्रेंचाइजी के माध्यम से बिजली सस्ती होगी. बिजली क्षति कम होगी. रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की अोर से अधिवक्ता आनंद सेन ने पक्ष रखा था.
क्या है मामला
दिसंबर 2012 में तत्कालीन अर्जुन मुंडा की सरकार ने रांची व जमशेदपुर में बिजली वितरण फ्रेंचाइजी के लिए सीइएससी व टाटा पावर के साथ एग्रीमेंट किया था. इसके बाद विभिन्न यूनियनों द्वारा इसका विरोध भी आरंभ हो गया, जिस कारण मामला लटकता गया. इस दौरान दोनों कंपनियों ने रांची व जमशेदपुर में अपना-अपना कार्यालय खोल लिया. वेयर हाउस का निर्माण करा लिया. इसी दौरान सरकार बदली गयी. झारखंड विद्युत बोर्ड का बंटवारा हो गया.

चार कंपनियां बन गयीं. इधर, ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह बने. फिर उन्होंने फ्रेंचाइजी रद्द करने का आदेश दिया. इसमें कारण बताया गया कि कंपनियों को कम दर पर बिजली दी जायेगी, जिसके चलते बोर्ड को घाटा होगा. इस पर बाद में वितरण कंपनी ने भी रद्द करने संबंधित आदेश जारी कर दिया. इसके बाद दोनों कंपनियों ने कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी. कंपनियों का तर्क था कि निविदा से उनका चयन हुआ था. करोड़ों रुपये का निवेश किया गया, इसके बाद अचानक हटा देने से उनका नुकसान हुआ है. अब कोर्ट से आदेश मिलने के बाद दोनों कंपनियां अब रांची व जमशेदपुर में बिजली वितरण व्यवस्था संभाल सकती हैं.

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