प्रार्थियों की याचिकाअों को स्वीकार कर लिया. पूर्व में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने अपने फैसले में जमशेदपुर के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड व रांची के लिए रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के साथ वर्ष 2012 में किये गये करार को उचित ठहराया. रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कलकत्ता इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी(सीइएसइ) की अनुषंगी कंपनी है. अदालत ने कहा कि बिजली वितरण का मुद्दा जनहित से जुड़ा हुआ है. इस पर जल्द से जल्द कार्रवाई शुरू की जाये. इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाये. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया ने अदालत को बताया था कि जेएसइबी के साथ एग्रीमेंट होने के बाद टाटा पावर कंपनी लिमिटेड ने काम शुरू कर दिया था. बिजली वितरण का सिस्टम तैयार किया जाने लगा.
चार कंपनियां बन गयीं. इधर, ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह बने. फिर उन्होंने फ्रेंचाइजी रद्द करने का आदेश दिया. इसमें कारण बताया गया कि कंपनियों को कम दर पर बिजली दी जायेगी, जिसके चलते बोर्ड को घाटा होगा. इस पर बाद में वितरण कंपनी ने भी रद्द करने संबंधित आदेश जारी कर दिया. इसके बाद दोनों कंपनियों ने कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी. कंपनियों का तर्क था कि निविदा से उनका चयन हुआ था. करोड़ों रुपये का निवेश किया गया, इसके बाद अचानक हटा देने से उनका नुकसान हुआ है. अब कोर्ट से आदेश मिलने के बाद दोनों कंपनियां अब रांची व जमशेदपुर में बिजली वितरण व्यवस्था संभाल सकती हैं.