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एक लाख मजदूर नहीं मना सकेंगे दीपावाली
एक अप्रैल 2015 से बंद हैं कई माइंस सुनील चौधरी रांची :झारखंड के एक लाख खदान मजदूरों की दीवाली इस बार नहीं मन सकेगी. कारण है कि खदान बंद है. उनके पास कोई रोजगार नहीं है. लौह अयस्क खदान के मजदूर पिछले एक वर्ष से रोजी-रोटी के लिए तरस रहे हैं. दूसरी ओर कोल ब्लॉक […]
एक अप्रैल 2015 से बंद हैं कई माइंस
सुनील चौधरी
रांची :झारखंड के एक लाख खदान मजदूरों की दीवाली इस बार नहीं मन सकेगी. कारण है कि खदान बंद है. उनके पास कोई रोजगार नहीं है. लौह अयस्क खदान के मजदूर पिछले एक वर्ष से रोजी-रोटी के लिए तरस रहे हैं. दूसरी ओर कोल ब्लॉक में कार्यरत मजदूर अप्रैल 2015 से बेरोजगार हैं. इन खदानों में बड़ी संख्या में मजदूर कार्यरत थे. खान मजदूर, डंपर चालक के अलावा इनसे जुड़े चाय-पान के दुकानदार भी बेरोजगार हो गये हैं. छोटी-छोटी दुकानें बंद हो गयी हैं.
जिस प. सिंहभूम में कभी लाल धूल के गुब्बारे उड़ते थे. वह अब शांत है. खदान बंद हैं. खदानों का क्या होगा, इस पर सरकार को फैसला लेना है. खदान खुलेंगे या बंद होंगे, इसे लेकर मजदूर भी असमंजस में हैं. फैसला जो भी हो, पर इससे सर्वाधिक प्रभावित मजदूर ही हो रहे हैं.
21 लौह अयस्क खदानों के मजदूर सर्वाधिक प्रभावित
बताया गया कि पूर्वी सिंहभूम में जब 21 लौह अयस्क खदानों से उत्पादन चालू था. तब लाखों की संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ था. बाद में मशीनों के इस्तेमाल से मजदूरों की संख्या कम हुई. फिर भी करीब 80 से 85 हजार लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सिंतबर 2014 से लौह अयस्क खदानों का लीज नवीकरण लंबित रहने के कारण सरकार ने बंद करवा दिया है.
केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर सभी खदानों को 2020 तक लीज नवीकरण का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने इन खदानों के लीज नवीकरण को लेकर विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की. कमेटी ने सभी 21 खदानों की लीज ही रद्द करने की अनुशंसा कर दी है. फिलहाल मामला मुख्यमंत्री के स्तर पर लंबित है. मजदूरों का क्या होगा, यह सरकार को तय करना है.
नीलामी के बाद भी नहीं चालू हो सके कोल ब्लॉक
जब सरकार कोल ब्लॉक की नीलामी कर रही थी तब कहा जा रहा था कि नीलामी के तत्काल बाद खदान खुल जायेंगे.
झारखंड में तीन चालू खदानों की भी नीलामी हुई. एक मालिक से खदान दूसरे मालिक के हाथ में चल गया. पर कोई न कोई क्लीयरेंस नहीं मिलने के कारण कोल ब्लॉक के खदान चालू नहीं हो सके हैं. ऐसा तीन कोल ब्लॉक खदानों में हुआ है जहां कार्यरत मजदूर अबतक खदान के चालू होने के इंतजार में बेरोजगार बैठे हुए हैं.
क्या है कोल ब्लॉक खदानों की स्थिति
पर्बतपुर कोल ब्लॉक
चंदनकियारी स्थिति इस कोल ब्लॉक में पूर्व में इलेक्ट्रो स्टील द्वारा यहां कोयले का उत्खनन किया जाता था. उस समय पांच से सात हजार लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इस खदान से जुड़े थे.
खदान की नीलामी भी नहीं हुई. पर कोर्ट के आदेशानुसार एक अप्रैल 2015 से खदान बंद हो गया. उस समय आठ लाख टन कोयले का उत्पादन प्रतिवर्ष होता था. अप्रैल माह से ही पूर्ववर्ती कंपनी ने मशीनों को हटा लिया. मजदूरों से भी प्रबंधन ने पल्ला झाड़ लिया. उधर केंद्र सरकार द्वारा दो बार इस खदान के अॉक्शन का प्रयास किया गया. पर पहली बार सिंगल निविदा के कारण रद्द करना पड़ा. दूसरी बार तकनीकी वजहों से नीलामी को ही टालना पड़ा.
पचुवारा सेंट्रल कोल ब्लॉक
पाकुड़ जिले के आमरापाड़ा स्थित पचुवार सेंट्रल कोल ब्लॉक भी अप्रैल 2015 से बंद है. यहां पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोग कार्यरत थे. फिलहाल सारे लोग बेरोजगार हो गये हैं. पूर्व में यह कोल ब्लॉक पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को मिला था.
पंजाब पावर ने एमटा को माइंस डेवलपर व ऑपरेटर के रूप में नियुक्त करते हुए ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनायी थी. जिसका नाम था पैनम कोल माइंस लिमिटेड. पैनम कोल माइंस लिमिटेड द्वारा ही पचुवारा सेंट्रल में कोल ब्लॉक का उत्खनन किया जाता था. बाद में इस कोल ब्लॉक को दोबारा पंजाब इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन को ही आवंटित किया गया है. हालांकि अभी तक डेवलपर नियुक्त करने व लीज की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. इसके चलते खदान बंद है.
कठौतिया कोल ब्लॉक
पलामू स्थित इस कोल ब्लॉक को पूर्व में उषा मार्टिन कंपनी चलाती थी. यहां भी दो से तीन हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ था. नीलामी के बाद यह खदान हिंडाल्को को मिला है. लीज की प्रक्रिया अभी तक लंबित है, जिसके चलते खदान से उत्पादन बंद है.
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