रांची : झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (जेसिया) ने झारखंड बिजली वितरण निगम को अक्षम एवं अकर्मण्य बताया है. जेसिया ने वितरण निगम के एमडी के नाम खुला पत्र जारी किया है. जेसिया ने लिखा है कि बिजली वितरण निगम द्वारा उचित दर पर क्वालिटी बिजली एवं निर्बाध बिजली मुहैया कराने की प्रतिबद्धता वास्तव में ढकोसला है. जेसिया पिछले 52 वर्षों से प्रत्येक वर्ष बिजली के मुद्दों से संबंधित परेशानियों से उद्यमियों को राहत पहुंचाने का काम करते आ रहा है.
अधिकारियों की मनमानी एवं दर निर्धारण की पुरानी परंपरा को दूर करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 बना. इसके तहत रेगुलेटरी कमीशन बना, जो तय मानकों के जायज खर्चों के आधार पर अनुकूल परिस्थिति के मद्देनजर उनका दर एवं नियम तय करता है.
जेसिया ने लिखा है कि वितरण निगम के अधिकारियों ने यह सिद्ध कर दिया कि वे सक्षम नहीं है एवं केवल जनता के पैसे पर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के अलावा किसी भी दायित्व से अछूते हैं.
अक्षम फौज के सहारे निगम मकसद हासिल नहीं कर सकता: निगम द्वारा आयोग के पास टैरिफ पीटिशन लगातार दूसरी बार गलत आंकड़ों के साथ दाखिल की गयी, जो कि पकड़ी भी गयी है. पिछली बार 2014 में भी छह महीने की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद, उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करते हुए टैरिफ पीटिशन वापस ले ली. इस वर्ष की पीटिशन भी वैसे ही दाखिल की गयी है. नियामक आयोग ने उनके पीटिशन में 21 त्रुटियां पायी हैं और उसे एक सप्ताह में दूर करने का आदेश दिया है.
जेसिया ने सवाल उठाया है कि क्या आवेदन में त्रुटि के लिए निगम के अधिकारी, उनके कानुनी एवं वाणिज्यिक सलाहकार की भूमिका उचित है? जनसुनवाई में भी गलत बयान देने के कारण सरकार की किरकिरी हुई तथा उन्हें क्षमा याचना करनी पड़ी. यह उनकी अक्षमता को दर्शाता है. जेसिया ने लिखा है कि आयोग की पहल पर एक सलाहकार समिति का गठन किया गया. पिछले कई वर्षों से इसकी बैठक करने की कोई पहल भी नहीं की गयी. जेसिया ने निगम के एमडी से पूछा है कि उनका मुख्य कार्य जनता को निर्बाध बिजली देना है. क्या इस अक्षम फौज के सहारे वह मकसद हासिल कर सकेंगे.