रांची: झारखंड में 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उद्योग विभाग ने 11 लाख जनजातीय परिवारों को रेशम उत्पादन से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना बनायी है. इसमें महिला समूहों को प्राथमिकता दी जायेगी. योजना के तहत रेशम निदेशालय की ओर से 12वीं योजना के अंत तक तसर सिल्क का उत्पादन 11 हजार मीट्रिक टन तक पहुंचाने का लक्ष्य भी तय किया गया है.
वर्ष 2013-14 में रेशम का उत्पादन 15 सौ मीट्रिक टन तय है. सरकार ने अगले चार वर्ष के लक्ष्य को लेकर 3500 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव तैयार किया है. इससे सरकार 12वीं योजना के अंत तक 16 हजार करोड़ का कारोबार (रेशम उत्पादन) हासिल कर पायेगी. मुख्य सचिव आरएस शर्मा के निर्देश पर तय किये गये प्रस्ताव में झारखंड को देश भर में नंबर-वन रेशम उत्पादक राज्य बनाना तय किया गया है. झारखंड के झारक्राफ्ट से इस योजना को साकार किया जायेगा.
केंद्र से 1000 करोड़ रुपये की मदद का आश्वासन
राज्य सरकार ने निवेश के बाबत केंद्र सरकार से विशेष सहायता की मांग की है. इसमें केंद्रीय सिल्क बोर्ड, कपड़ा मंत्रलय और ग्रामीण विकास विभाग से अतिरिक्त सहायता की मांग की गयी है. रेशम निदेशालय का मानना है कि केंद्र से एक हजार करोड़ रुपये की सहायता राशि मिल सकती है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग से मनरेगा के तहत भी चार से पांच सौ करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया जा सकता है. केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने इस परियोजना के लिए 1000 करोड़ रुपये की सहायता देने का आश्वासन भी राज्य सरकार को दिया है.
कीट पालन को 1359 करोड़ खर्च करने का प्रस्ताव
रेशम कीट पालन के लिए एक लाख हेक्टेयर भूमि पर कुकुन (कीट) पालन किया जायेगा. वन विभाग, झारखंड राज्य जलछाजन मिशन, राज्य आजीविका मिशन, झारखंड जनजातीय विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय बागवानी मिशन के बीच कंवर्जेस किया जायेगा. इसके अंतर्गत एक लाख हेक्टेयर भूमि पर कीट पालन किया जायेगा. इसमें 1359 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
रीलिंग व स्पिनिंग केंद्र के लिए चार वर्षो में चाहिए 420 करोड़
झारक्राफ्ट की ओर से योजना के तहत अगले चार वर्षो में 18 सौ रीलर्स और स्पिनर्स के ग्रुप भी बनाये जायेंगे. प्रत्येक समूह में 30-30 सदस्य रहेंगे. इसमें 54 हजार महिलाओं को जोड़ा जायेगा. इसके लिए सरकार ने 420 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य तय किया है. प्रत्येक समूह को वर्कशेड, मशीनरी और कार्यशील पूंजी उपलब्ध करायी जायेगी. रीलिंग और स्पिनिंग कार्य के लिए चार वित्तीय वर्षो में 126 करोड़ रुपये की मांग की गयी है. मशीन और टूल्स की खरीद के लिए 185.40 करोड़ की आवश्यकता होगी. इसी प्रकार रेशम उत्पादन से संबंधित मशीनरी की खरीद को आइएपी से भी 82.40 करोड़ लेने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
एजेंसियों से 640 करोड़ लेने का प्रस्ताव
प्रस्ताव में बैकवर्ड रिजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ), केंद्रीय सिल्क बोर्ड, समेकित कार्य योजना (आइएपी), राज्य सरकार के उद्योग विभाग से 640 करोड़ रुपये लिये जायेंगे. कार्यशील पूंजी के लिए झारखंड राज्य आजीविका मिशन से 54.36 करोड़ रुपये लेने का कार्यक्रम तय किया गया है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 27 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.
चार लाख कृषकों को जोड़ा जायेगा
सरकार ने 12वीं योजना के अंत तक चार लाख किसानों को योजना से जोड़ने का निर्णय लिया है. 25-25 किसानों का समूह बनाया जायेगा. कुल 16 हजार समूह बनाये जायेंगे. इन किसानों को उद्योग विभाग, बीआरजीएफ, केंद्रीय सिल्क बोर्ड, कपड़ा मंत्रलय और आइएपी से पैसे की आवश्यकता पूरी की जायेगी.
2.50 लाख परिवारों को रेशम उत्पादन से जोड़ा गया
राज्य सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना में 2.40 लाख परिवारों को रेशम उत्पादन से जोड़ा है. झारखंड अब देश का सबसे बड़ा तसर सिल्क उत्पादक राज्य बन गया है. झारखंड की संस्था झारक्राफ्ट की ओर से रीलिंग, स्पिनिंग, काथा स्टीच, सैटीन स्टीच, जनजातीय पेंटिंग, जरदोजी, एपलिक, टाइ एंड डाई स्टीचिंग और ब्लाक प्रिंट के क्लस्टर विकसित किये गये हैं. इससे दो महीने में ये महिलाएं 40 हजार रुपये तक की कमाई कर रही हैं. इतना ही नहीं, रेशम उत्पादक किसान 90 हजार रुपये की सलाना कमाई भी करने में सफलता प्राप्त कर रहे हैं.