रांची: हर इंसान अगर इमाम हुसैन (र.अ.) की जिंदगी से इबरत हासिल करे, तो दुनिया में अमन-चैन और आपसी भाईचारे में कभी खलल नहीं पड़ सकती. इमाम हुसैन की शहादत हमें बलिदान और सत्य के मार्ग पर चलने की नसीहत देती है. इसे समझ कर लोग जितना ज्यादा अमल करेंगे, उनकी जिंदगी उतनी ही आसान हो जायेगी. उक्त बातें खतीब इदैन मौलाना असगर मिसबाही ने कही. वे शनिवार की रात पहाड़ी टोला स्थित मुहर्रम मेला मैदान में जलसा-ए-सीरत-ए-शोहदा-ए-कर्बला में बतौर मुख्य वक्ता अपने विचार रख रहे थे.
उन्होंने कहा कि आज मुहर्रम के मौके पर जैसा उत्सवी माहौल दिखता है, वास्तव में वह मुहर्रम के अशुरे को हुई शहादत का मजाक ही है. आखिर हम ढोल-ताशे और गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाल कर किसे श्रद्धांजलि देते हैं? क्या हमें पता भी है कि हम जो कर रहे हैं, वह आज से 1335 साल पहले यजीद के समर्थकों ने किया होगा, जब उन्होंने इमाम हुसैन को शहीद कर दिया था. उन्होंने कहा कि आज हमें इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए अपनी जिंदगी सादगी के साथ जीने की आदत डालनी चाहिए.
इस अवसर पर शहर के मानिंद आलिम और मस्जिद-ए-बेलाल के खतीब मौलाना तलहा नदवी ने कहा कि मुसलमानों को दूसरों के लिए कुर्बानी देने की आदत डालनी चाहिए. हमें बलिदान के रास्ते पर आगे चलते हुए देश को तरक्की की राह पर ले जाना है. उन्होंने कहा कि हर समाज में अच्छे और बुरे लोग होते हैं, लेकिन समाज का बड़ा हिस्सा उन अच्छे लोगों पर निर्भर है, जो 95 फीसदी हैं. 5 फीसद उपद्रवियों के उकसावे में आकर किसी को समाज विरोधी कोई काम नहीं करना चाहिए. हक की राह में अपनी कुर्बानी देनी पड़े, तो बेझिझक कुर्बान होने को तैयार रहना चाहिए. लेकिन, अगर आपकी एक भी हरकत से किसी का दिल दुख गया, तो आपकी गुनाहों का तौबा मुमकिन नहीं.
इस अवसर पर मौलाना सद्दाम हुसैन ने इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए नात पेश किया. इस मौके पर पहाड़ी टोला मस्जिद के इमाम हयात अहमद कासमी ने भी नात पेश किया. जलसे का आयोजन पहाड़ी टोला नौजवान कमेटी के तत्वावधान में किया गया था. धन्यवाद ज्ञापन नौजवान मुहर्रम कमेटी के खलीफ मो समसू ने किया. इस मौके पर कोषाध्यक्ष शाहनवाज बारी, संयुक्त सचिव मो इम्तियाज, मो सरफराज, फैयाज वारसी, ख्वाजा शहाबुद्दीन बट्ट, एजाज अंसारी, बाबा मुमताज हुसैन, मो नईम अंसारी, सरफराज अहमद, राजा, उमर अंसारी, फिरोज कमाल समेत सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे.