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बिजली घाटा कम करने में जेबीवीएनएल 38 वें नंबर पर
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने जारी की रैंकिंग घाटा कम करने में आंध्र प्रदेश देश का अव्वल राज्य झारखंड का एटीएंडसी लॉस 41.3 प्रतिशत बिहार घाटे में झारखंड से भी आगे, बिहार का घाटा है 49.4 फीसदी जेबीवीएनएल का घाटा "2777 करोड़ सालाना सुनील चौधरी रांची : बिजली का घाटा कम करने के मामले में झारखंड […]
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने जारी की रैंकिंग
घाटा कम करने में आंध्र प्रदेश देश का अव्वल राज्य
झारखंड का एटीएंडसी लॉस 41.3 प्रतिशत
बिहार घाटे में झारखंड से भी आगे, बिहार का घाटा है 49.4 फीसदी
जेबीवीएनएल का घाटा "2777 करोड़ सालाना
सुनील चौधरी
रांची : बिजली का घाटा कम करने के मामले में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) देशभर के राज्यों की बिजली कंपनियों में 38 वें नंबर पर है. देशभर में राज्यों की कुल 48 सरकारी बिजली कंपनियां (डिस्कॉम) हैं. झारखंड में एग्रीगेट टेक्निकल एंड कॉमर्शियल लॉसेस (एटीएंडसी) 41. 3 फीसदी है. सबसे अधिक घाटा नगालैंड का है, जो 72 फीसदी है.
ऊर्जा मंत्रालय द्वारा एपीडीआरपी पर पावर फॉयनेंस कॉरपोरेशन से अलग-अलग डिस्कॉम की रेटिंग करायी गयी थी. 12 अक्तूबर को प्रधानमंत्री के समक्ष यह रिपोर्ट पेश की गयी थी, जिसमें बिजली घाटा कम करने के मामले में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड(जेबीवीएनएल) 38 वें नंबर पर है. जबकि आंध्र प्रदेश में सबसे कम घाटा होता है, यहां 5.3 फीसदी ही एटीएंडसी लॉस है.
राष्ट्रीय औसत से दोगुना घाटा होता है झारखंड में
झारखंड में बिजली चोरी व अन्य कारणों से घाटा राष्ट्रीय औसत से दोगुना है. एटीएंडसी लॉस का राष्ट्रीय औसतन 23.8 फीसदी है, जबकि झारखंड में लगभग दोगुना है. राष्ट्रीय औसत से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलांगना, गुजरात, केरल, गोवा, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान की डिस्कॉम कम हैं.
रेड जोन में राज्य
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 40 फीसदी से अधिक घाटे वाले राज्यों को रेड जोन में रखा है. इसमें यूपी, झारखंड, प. बंगाल, हरियाणा, बिहार, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर व नागालैंड शामिल हैं. 12 अक्तूबर को हुई बैठक में ऊर्जा मंत्रालय ने इन राज्यों के घाटे पर चिंता जतायी थी और घाटा कम करने का निर्देश दिया था. बिहार का घाटा झारखंड से भी आगे है. बिहार में बिजली बोर्ड के बंटवारे के बाद बनी कंपनी एसबीपीडीसीएल का घाटा 49.4 फीसदी है.
प्रतिमाह 231 करोड़ का घाटा
जेबीवीएनएल ने विद्युत नियामक आयोग को दिये गये टैरिफ प्रस्ताव में अपना सालाना घाटा 2777 करोड़ रुपये बताया है. बिजली बेचकर वितरण कंपनी 2905 करोड़ रुपये राजस्व वसूली करती है. जबिक बिजली खरीद व स्थापना मद में कुल 5682 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. महीने के हिसाब से देखा जाये तो प्रतिमाह 231 करोड़ रुपये का घाटा जेबीवीएनएल को होता है. इसके आधार पर टैरिफ प्रस्ताव में भी 40 फीसदी तक बिजली दर बढ़ाने की मांग की गयी है. यानी घाटे का सारा बोझ उपभोक्ता पर पड़ने वाला है. नियामक आयोग द्वारा अभी टैरिफ पर सुनवाई चल रही है. संभावना जतायी जा रही है कि पंचायत चुनाव के बाद टैरिफ की घोषणा कर दी जायेगी.
कुछ प्रमुख राज्यों की डिस्कॉम की क्या है रैंकिंग
रैंक राज्य कंपनी घाटा(प्रतिशत में)
1 आंध्रप्रदेश एपीइपीडीसीएल 5.3
2 कर्नाटक बीइएसकॉम 8.5
6 तेलांगना टीएसएनपीडीसीएल 12.8
8 गुजरात एमजीवीसीएल 13.8
10 केरल केएसइबीएल 15.9
11 गोवा इडी गोवा 16.4
12 हिमाचल प्रदेश एचपीएसइबीएल 16.5
16 तमिलनाडु टीएए़जीइडीसीओ 19.7
17 महाराष्ट्र एएसइडीसीएल 20.4
18 राजस्थान जेडीवीवीएनएल 21.0
40 फीसदी से अधिक घाटेवाले राज्य की कंपनियां
37 यूपी पीयूवीवीएनएल 40.8
38 झारखंड जेबीएनएल 41.3
39 प.बंगाल डब्ल्यूबीएसइडीसीएल 42
40 हरियाणा यूएचबीवीएनएल 43.3
41 यूपी डीवीवीएनएल 47.9
42 बिहार एसबीपीडीसीएल 49.4
43 जेएंडके जेकेपीडीडी 64.7
44 मणिपुर एमएसपीडीसीएल 70.4
45 नगालैंड पीडी नागा 72.3
नोट: एटीएंडसी लॉस का राष्ट्रीय औसत 23.8 फीसदी है
स्त्रोत: ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार
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