कांके/रांची: राज्य के कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने बिरसा कृषि विवि के कुलपति को बोरिया बिस्तर समेट कर वापस जाने के लिए कहा. मंत्री ने कहा कि विवि के कुलपति का एटीच्यूड बहुत खराब है. जनता से संबंधित बात करनी है और कुलपति बाहर चले गये हैं. चुनाव का समय है और कुलपति माहौल खराब कर रहे हैं. विवि अधिकारी और कुलपति सुधर जायें, नहीं तो विवि में ताला बंद कर देंगे. मंत्री के साथ सांसद सुबोधकांत सहाय ने भी कहा कि 24 घंटे के अंदर कुलपति मजदूरों की समस्याओं को लेकर वार्ता करें. मंत्री को रिपोर्ट करें या इस्तीफा दे दें. सांसद इतने गुस्से में थे कि उन्होंने मजदूरों के मांग पत्र को फाड़ कर डीन कार्यालय के समक्ष फेंक दिया. अधिकारियों से कहा कि मजदूर जो चाहते हैं, वही करो.
24 अक्तूबर को बिरसा कृषि विवि झारखंड कर्मचारी मजदूर संघ के आमंत्रण पर सभा को संबोधित करने अपराह्न् तीन बजे कृषि मंत्री व सांसद विवि परिसर पहुंचे. मुख्यालय गेट पर बारिश में सैकड़ों मजदूरों को देखकर मंत्री व सांसद अपनी गाड़ी से उतर गये. मजदूर नेता नेता रंजीत टोप्पो व नेयामत अंसारी ने बताया कि सभा के लिए विवि प्रशासन ने सभा कक्ष नहीं दिया. झंडा मैदान भी आवंटित नहीं किया है. मजदूरों की बात सुनते ही मंत्री योगेंद्र साव व सांसद सुबोधकांत सहाय भड़क गये. सीधे कृषि डीन के कार्यालय पहुंचे और मजदूरों के लिए सभा कक्ष नहीं देने का कारण पूछा. इस बीच निदेशक प्रशासन एसके पॉल, उपनिदेशक पंकज वत्सल डीन के कार्यालय पहुंचे.
सांसद ने पूछा कि कुलपति कहां हैं? इस पर विवि अधिकारियों ने बताया कि कुलपति डा एमपी पांडे कृषि सचिव के निर्देश पर हजारीबाग में आयोजित बैठक मे भाग लेने गये हैं. इतना सुनते ही मंत्री व सांसद भड़क गये.
सांसद और मंत्री ने सभा की
डांट- फटकार के बाद सभी मजदूर बीएयू गेट पहुंचे और सभा की. सभा में सांसद सुबोधकांत ने कहा कि विवि भ्रष्टाचार का अखाड़ा बन गया है. इस कुलपति से उम्मीद करना बेमानी है. इनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए. उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे लोग सुधर जायें. जनता और मजदूरों की समस्याओं का निदान करें. कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने कहा कि विवि में मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है. मृतक मजदूरों के आश्रितों को नौकरी नहीं मिल रही है. कर्मचारियों का वेतन बंद कर दिया गया है. सभा को रंजीत टोप्पो, उदय शंकर ओझा, सुरेश बैठा, नेयामत अंसारी,सुधीर कुमार सहित कई अन्य ने संबोधित किया.
क्या है मजदूरों की मांग
बीएयू में लगभग 900 मजदूर कार्यरत हैं. नौ सूत्री मांगों को लेकर मजदूर आंदोलन कर रहे हैं. इनकी मुख्य मांगों में कार्य एवं संयंत्र विभाग में पैसे के अभाव में मृत सुशील कुमार के परिजनों को अविलंब बकाया वेतन व नौकरी देने, 20-25 वर्षों से कार्य कर रहे मजदूरों को अकारण बैठाने का निर्णय वापस लेने, नियुक्ति में मजदूरों की योग्यता पर प्रतिबंध हटाने व ठेकेदारी प्रथा हटाने सहित अन्य मांगे शामिल हैं.