एप्स की रफ्तार हुई तेज युवा पीढ़ी के बीच में एप्स का क्रेज जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, इस फील्ड में कैरियर की संभावनाएं भी उसी रफ्तार से बढ़ती जा रही हैं. आज रेलवे टिकट बुक कराने से लेकर मूवी टिकट तक के लिए युवा एप्स का इस्तेमाल करते हैं. एप्स का चलन लगभग पूरे देश में समान रूप से काफी बढ़ चुका है. एप्स की बढ़ती डिमांड को देखते हुए इसे पाठ्यक्रम के रूप में भी शामिल किया जा रहा है. सर्च इंजन गूगल के अनुसार देश में एक सप्ताह में करीब तीन करोड़ एप्लीकेशन्स डाउनलोड होते हैं. इसी रिपोर्ट के अनुसार एप्पल के एप्लीकेशन स्टोर से अब तक 40 अरब एप्स डाउनलोड किये जा चुके हैं. आइये जानते हैं इसमें संभावनाआें के बारे में. क्या है मोबाइल एप्लीकेशनएप्लीकेशन एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसका उपयोग अलग-अलग रूप में मोबाइल डिवाइस, गूगल एंड्रॉयड, आइपैड और आईफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए किया जाता है. आसान रूप में मोबाइल एप्लीकेशन दो तरह के होते हैं. नेटिव, एप्पल, आइओएस या गूगल एंड्रॉयड जैसे मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए तैयार किये जाने वाले एप्स पहले समूह में आते हैं. दूसरे वर्ग में मोबाइल वेब शामिल हैं, जहां एचटीएमएल जैसी लैंग्वेज का उपयोग किया जाता है़ इन्हें चलाने के लिए ब्राउजर की जरूरत होती है.मोबाइल डेवलपर का कार्यमोबाइल डेवलपर सॉफ्टवेयर इंजीनियर या सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर होते हैं जो मोबाइल एप्लीकेशन की डिजाइन विकसित करने के साथ-साथ एक या एक से अधिक मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम पर इनकी जांच करते हैं. बाजार में लांच होने के बाद एप्स यूजर्स से प्राप्त प्रतिक्रियाओं को समझते हैं. यूजर्स की जरूरतों के अनुसार उनमें परिवर्तन करते हैं. इसके अलावा नये संस्करण भी तैयार करते हैं.क्या है योग्यताएप्स डेवलपमेंट के लिए कई बातें आनी चाहिए. आइओएस या जावा पर एप्लीकेशन्स लिखने के लिए सी, सी प्लस, ऑब्जेक्टिव सी जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कमांड होना बहुत जरूरी है. यदि आप आइफोन और आइपैड डेवलपर बनना चाहते हैं, तो आपको ऑब्जेक्टिव- सी एक्सकोड और मैक ओएस एक्स प्लेटफार्म पर इंटरफेस के निर्माण का हुनर सीखना होगा. इसके अलावा गूगल एंड्रॉयड डेवलपर बनने के लिए अापके पास जावा और एंड्रॉयड डेवलपमेंट में दक्ष होना होगा. साथ ही आपके पास कलात्मक और रचनात्मक हुनर होना चाहिए. कंप्यूटर साइंस में बीइ, बीटेक, एमटेक, एमसीए या आइटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन कर इस फील्ड में कैरियर बना सकते हैं.यह मिलेगा अवसरइस सेक्टर में काम करने के केंद्र मुख्य रूप से एम-वैस (मोबाइल वैल्यू ऐडेड सर्विसेज) इंडस्ट्री और आइटी कंपनियां हैं. आप काम की तलाश मोबाइल ऑपरेटर, मोबाइल डेवलपमेंट एप्लीकेशन कंपनियों और वैल्यू एडेड सर्विसेज प्रदाता कंपनियों में कर सकते हैं. एक्सपर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में जिस तेजी से मांग बढ़ रही है उसकी तुलना में पर्याप्त आपूर्ति बहुत कम है. यहां आप मोबाइल यूआइ डिजाइनर और यूजर एक्सपीरियंस एंड यूजेबिलिटी विशेषज्ञ के रूप में काम कर सकते हैं. जहां आपकी आरंभिक सैलेरी तीन से पांच लाख रुपये सालाना होती है़ ये हैं संस्थान एनआइआइटी, गुड़गांवकोडफ्रक्स, बेंगलुरुजीनियस पोर्ट, पुणे व बेंगलुरुभारती विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी, पुणे
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एप्स की रफ्तार हुई तेज
एप्स की रफ्तार हुई तेज युवा पीढ़ी के बीच में एप्स का क्रेज जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, इस फील्ड में कैरियर की संभावनाएं भी उसी रफ्तार से बढ़ती जा रही हैं. आज रेलवे टिकट बुक कराने से लेकर मूवी टिकट तक के लिए युवा एप्स का इस्तेमाल करते हैं. एप्स का चलन लगभग […]
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