डोमचांच (कोडरमा): करीब 1500 परिवार रहते हैं डोमचांच प्रखंड के मसमोहना में. यह गांव वैसे तो प्रखंड मुख्यालय से ज्यादा दूरी पर नहीं है, पर यहां भी सरकारी योजनाओं व उसके दावों की सच्चाई दिखती है.
इस गांव के करीब 75 फीसदी लोग खेती पर निर्भर हैं. इस बार शुरुआत में अच्छी बारिश हुई तो फसल भी लगाया, लेकिन अब बारिश के अभाव में धान के खेत के साथ ही मकई, मडुआ की फसल भी सूखे की चपेट में है. किसानों की हालत खराब है. इस गांव का हाल यह है कि नदी के मुहाने पर स्थित खेत में लगी फसल भी पानी के अभाव में सूखने लगे हैं. जिन किसानों के कुछ पैसे हैं वे चालीस रुपये प्रति लीटर की दर से किरासन तेल खरीद पटवन कर रहे हैं, लेकिन इनका भी मानना है कि अगर कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो फसल बचाना संभव नहीं होगा.
किसान कहते हैं कि खेतों के पास पंप सेट गांव की शोभा बढ़ाते दिख रहे हैं. तेल महंगा है, सरकार गंभीर नहीं है. सरकारी दर पर तेल मिले तो शायद कुछ धान को और बचा लेते. हम तो मेहनत कर रहे हैं, लेकिन शायद भगवान को इस बार सूखा करवाना ही है. गांव के किसान टुनटुन साव, मंगर महतो, महेंद्र महतो, द्वारिका प्रसाद, चंद्रदेव प्रसाद, कोकिल राणा, संतोष यादव, अब्बास मियां, इस्माइल मियां, विरेंद्र यादव ने बताया कि उन्होंने भी केसीसी से ऋण लेकर खेती की है. अगर यही हाल रहा तो हमें घर चलाने के लिए बाहर जाकर मजदूरी करनी पड़ेगी.