आधुनिक के साथ पारंपरिक तकनीक भी अपनायें किसान : डॉ जॉन (आवश्यक, तसवीर ट्रैक पर है)कृषि अनुसंधान केंद्र परिसर प्लांडू में विंटर स्कूल का समापनसंवाददाता, रांची पूर्वी क्षेत्र के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद परिसर, प्लांडू में चल रहे 21 दिवसीय विंटर स्कूल (शरद पाठशाला) का समापन हो गया. यह केंद्र की 50वीं शरद पाठशाला थी. इसका विषय पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र में जल की उत्पादकता में वृद्धि की नयी जानकारी (रीसेंट एडवांटेज इन एन्हांसिंग वाटर प्रोडक्टिविटी इन हिल एंड प्लैट्यू रीजन) पर आधारित था. इस समापन समारोह की अध्यक्षता बिरसा कृषि विवि के कुलपति डॉ जॉर्ज जॉन ने की. उन्होंने कहा कि कृषि में आधुनिक तकनीकों के साथ-साथ हमें पारंपरिक कृषि प्रणालियों का भी उपयोग करना चाहिए. जैव तथा अजैव तनाव के प्रतिरोधी जींस को फसलों की जंगली एवं पारंपरिक किस्मों से ग्रहण करना चाहिए. उन्होंने झारखंड की टांड़ भूमि में परंपरागत एवं उच्च पोषक मान वाली फसलों जैसे मड़ुआ, गुंदली आदि की खेती को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता जतायी. उन्होंने प्रतिभागियों के बीच जानकारियों के आदान-प्रदान की आवश्यकता पर बल दिया. इस अवसर पर केंद्र प्रधान डॉ एके सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि इस शरद पाठशाला में प्राप्त ज्ञान से प्रतिभागी वैज्ञानिक कृषकों को बेहतर मार्गदर्शन देने में सफल होंगे. इस पाठशाला में नगालैंड, तामिलनाडु, गुजरात, बिहार, झारखंड राज्यों के 23 वैज्ञानिकों ने भाग लिया. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के 48 विषेशज्ञों द्वारा कुल 56 व्याख्यान दिये गये. संचालन डॉ पी भावना ने किया. डॉ संतोष एस माली ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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आधुनिक के साथ पारंपरिक तकनीक भी अपनायें किसान : डॉ जॉन
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