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पांच अधिकारियों व एक स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश

पांच अधिकारियों व एक स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेशतालाब खुदाई व पाैधारोपण के नाम पर 60 लाख रुपये वित्तीय गड़बड़ी का है आरोपवरीय संवाददाता, रांची लोकायुक्त अमरेश्वर सहाय ने मेसो परियोजना के तहत पौधरोपण व तालाब निर्माण के नाम पर करीब 60 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले में दोषियों […]

पांच अधिकारियों व एक स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेशतालाब खुदाई व पाैधारोपण के नाम पर 60 लाख रुपये वित्तीय गड़बड़ी का है आरोपवरीय संवाददाता, रांची लोकायुक्त अमरेश्वर सहाय ने मेसो परियोजना के तहत पौधरोपण व तालाब निर्माण के नाम पर करीब 60 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले में दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. मेसो परियोजना जमशेदपुर के तत्कालीन पदाधिकारी दिनेश उरांव, जिला उद्यान पदाधिकारी ए एक्का, मेसो के तत्कालीन सहायक अभियंता कनक कुमार, तत्कालीन मेसो परियोजना पदाधिकारी सीताराम बारी (अब सेवानिवृत्त), मेसो के तत्कालीन कनीय अभियंता रामबदन महतो (सेवानिवृत्त) तथा स्वयंसेवी संस्था सिंहभूम ग्रामोद्योग विकास संस्थान नीमडीह चाईबासा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा है. संस्था को काली सूची में डालने का भी निर्देश दिया गया है. श्री उरांव वर्तमान में लोहरदगा में आटीडीए के परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत हैं. लोकायुक्त के सचिव दीपक कुमार ने बताया कि तीन माह के अंदर की गयी कार्रवाई से लोकायुक्त को अवगत कराने का निर्देश दिया गया है. जमशेदपुर निवासी दिनेश महतो ने वर्ष 2013 में लोकायुक्त के समक्ष शिकायतवाद दर्ज करायी थी. कहा गया था कि विशेष केंद्रीय योजना के तहत फलदार तथा इमारती वृक्षारोपण कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी हुई है. फाइलों में ही पौधरोपण व तालाब खुदाई दिखा कर योजना की राशि की निकासी करने का आरोप लगाया था. उक्त शिकायत लोकायुक्त ने कोल्हान प्रमंडल के कमिश्नर को जांच करने का निर्देश दिया. कमिश्नर ने आइएएस पदाधिकारी डॉ नेहा अरोड़ा को जांच की जिम्मेवारी साैंपी थी. जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाया गया. इसके बाद लोकायुक्त ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश पारित किया. क्या था आरोपयोजना के तहत 66.50 लाख रुपये का कार्य करना था. अधिकािरयों व संस्था की मिलीभगत से सिर्फ छह लाख रुपये का कार्य कर 60 लाख रुपये का दिखा दिया गया. अधिकारियों ने 32.05 लाख रुपये की लागत से पिट खुदाई, 23.07 लाख रुपये की लागत से 26 तालाब व 8.84 लाख रुपये की लागत से प्लांटेशन मेंटेंस, ट्रेनिंग कॉस्ट व प्रोमोशनल कॉस्ट फाइलों में दिखायी, जबकि कार्य धरातल पर नजर नहीं आया. योजना वित्तीय वर्ष 2009-10 का थी.

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