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एसपी नहीं कर रहे सहयोग

रांची: झारखंड-वनांचल आंदोलनकारी चिह्न्ीकरण आयोग का काम विभिन्न जिलों के एसपी द्वारा सहयोग नहीं करने से शिथिल है. आवेदकों ने खुद को आंदोलनकारी साबित करने को संबंधित थानों में दर्ज प्राथमिकी की कॉपी या फिर जेल जाने का प्रमाण पत्र पेश किया है. जिला प्रशासन को इनका सत्यापन करना है. इधर, राज्य के 14 जिलों […]

रांची: झारखंड-वनांचल आंदोलनकारी चिह्न्ीकरण आयोग का काम विभिन्न जिलों के एसपी द्वारा सहयोग नहीं करने से शिथिल है. आवेदकों ने खुद को आंदोलनकारी साबित करने को संबंधित थानों में दर्ज प्राथमिकी की कॉपी या फिर जेल जाने का प्रमाण पत्र पेश किया है. जिला प्रशासन को इनका सत्यापन करना है.

इधर, राज्य के 14 जिलों के एसपी को फरवरी से ही पत्र भेजा जा रहा है. कई रिमाइंडर के बाद भी वे आवेदन का सत्यापन नहीं कर रहे. सबसे ज्यादा आवेदनवाले जिले रांची के एसएसपी ने भी चुप्पी साध रखी है. अकेले देवघर से ही रिपोर्ट मिली है. अब आयोग कुछ सख्त कदम उठाने की सोच रहा है. गौरतलब है कि आयोग ने जिलों के उपायुक्तों सहित डीजीपी को भी पत्र लिख कर एफआइआर सत्यापन कराने संबंधी सूचना दे दी थी.

जहां से सत्यापन रिपोर्ट नहीं मिली
गिरिडीह, लोहरदगा, पलामू, सरायकेला, साहेबगंज, गुमला, रामगढ़, बोकारो, दुमका (सिर्फ एक रिपोर्ट मिली है), रांची, पू सिंहभूम, पाकुड़, प सिंहभूम व खूंटी.

आश्रित कौन
पुलिस फायरिंग या जेल में मृत आंदोलनकारी की पत्नी, पुत्र, अविवाहित पुत्री, पुत्र की विधवा पत्नी, आंदोलनकारी मृत महिला का पति व आंदोलनकारी के पौत्र/पौत्री.

अब सात माह का ही समय
दरअसल एक साल के लिए गठित आयोग को दूसरे वर्ष का अवधि विस्तार मिला है, पर बीच में सरकारी कार्यशैली के विरोध में आयोग के अध्यक्ष जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद के आयोग से इस्तीफा दे देने व करीब चार माह बाद काम संभालने के कारण कुल समय कम हो गया है. अब दूसरे वर्ष के अवधि विस्तार में से आयोग के पास लगभग सात माह का ही समय बचा है.

बकाया वेतन मिला
अध्यक्ष सहित आयोग के विभिन्न कर्मियों का करीब छह माह का वेतन बकाया था. इसकी सूचना सीएम के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह को देने पर उन्होंने तत्परता से सभी कर्मियों का वेतन रिलीज कराया.

क्या होना है
सरकार उक्त आयोग के जरिये झारखंड अलग राज्य के आंदोलनकारियों की पहचान कर उन्हें सम्मानित करेगी. वहीं आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को आजीवन पेंशन देगी.

यह सच है कि जिले के एसपी की ओर से आयोग को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है, जबकि डीजीपी सहित सबको समय-समय पर पत्र लिखा गया है. यही हाल रहा, तो समय पर काम पूरा करने में परेशानी होगी. ऐसे में आयोग को कुछ सख्त कदम उठाने होंगे.

आंदोलनकारियों व आश्रितों को क्या लाभ

आश्रित की शैक्षणिक अर्हता के अनुसार तृतीय या चतुर्थ वर्ग के पदों पर नियुक्ति

तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति में प्राथमिकता

आंदोलनकारी या उसके एक आश्रित को जीवन काल तक तीन हजार या पांच हजार प्रति माह पेंशन

चिह्न्ति आंदोलन कारियों को प्रतीक चिह्न् व प्रमाण पत्र

बीपीएल श्रेणी वाले आंदोलनकारियों को चिकित्सा सुविधा का लाभ

छह माह तक के कारावास पर तीन हजार व इससे अधिक पर पांच हजार रुपये की मासिक पेंशन

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