रांची : राजधानी में दो गुटों के बीच कई जगहों पर हुई झड़प से स्कूलों में शनिवार को अफरा-तफरी जैसी स्थिति रही. राजधानी में जवाहर विद्या मंदिर, डीपीएस, लारेटो कॉनवेंट, बिशप वेस्टकोट नामकुम, डोरंडा, संत थॉमस, संत जेवियर, विवेकानंद विद्या मंदिर समेत कई सरकारी स्कूल आज खुले थे.
इससे स्कूल गये बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. सुबह 10 बजे के बाद तनाव अधिक बढ़ने की वजह से स्कूलों में अभिभावकों का तांता लगा रहा. अभिभावकों को बच्चे सौंपे गये. दिल्ली पब्लिक स्कूल में 10 वीं, 12 वीं के बच्चों की परीक्षा थी, जो सुबह 10 बजे समाप्त हुई.
इसके बाद अभिभावकों को सूचना दी गयी कि वे अपने बच्चों को ले जायें. उस समय बिरसा चौक और चेक पोस्ट में कई जगह पर टायर जला कर मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया था.
उपद्रव कर रहे लोगों की ओर से किसी भी वाहन को चलने भी नहीं दिया जा रहा था. कई बच्चे तो स्कूल के बाहर टेंपो और तिपहिया वाहन से घर जाने के लिए घंटों इंतजार करते रहे. स्कूल से एक बस भी नहीं निकली. कमोबेश यही स्थिति लारेटो की भी रही. वहां पर प्राचार्य और अन्य शिक्षक पैरेंट्स से पूरजा लेकर बच्चियों को छोड़ रहे थे. श्यामली में भी बच्चे इसी तरह पैरेंट्स को सौंपे गये.
लाठी मत चलाना, पीछे हटाओ
एजी मोड़ पर तीन घंटे तक हंगामा, परेशान रहे अभिभावक व स्कूली बच्चे
गाड़ी में की तोड़फोड़, टायर जला कर किया गया रोड जाम
रांची :डोरंडा के एजी मोड़ पर शनिवार को बंद समर्थकों ने जम कर हंगामा किया. इस दौरान कई वाहनों के शीशे तोड़े गये. बंद समर्थकों ने टायर जला कर रोड को जाम कर दिया था. लगभग तीन घंटे तक सड़क जाम रखा. दिन के करीब 11 बजे सिटी एसपी जया राय पुलिस फोर्स के साथ एजी मोड़ पहुंची. पुलिस के जवानों ने टायर को रोड से हटाया और बंद समर्थकों को खदेड़ा. पीछे से सीटी एसपी कह रही थी. लाठी मत चलाना, पीछे हटाओ. इस दौरान सिटी एसपी मोबाइल से भीड़ में शामिल लोगों की वीडियो रिकार्डिंग करने लगी. ऐसा देख बंद समर्थक एजी ऑफिस की ओर चले गये. राजधानी में बंद की स्थिति को देखते हुए अभिभावक स्कूल पहुंच गये और बच्चों को अपने साथ ले गये. इस चौक पर बंद समर्थक सुबह आठ बजे से ही जुट गये थे. इसके बाद सड़क पर पत्थर रखा. टायर जला कर प्रदर्शन करने लगे. इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बन कर देखती रही. तीन घंटे के बाद सीआरपीएफ की टीम ने घटना स्थल पहुंच कर जाम हटवाया.
प्रशासन अलर्ट रहता, तो बात नहीं िबगड़ती
सुबह में डोरंडा के अलावा शहर के किसी दूसरे हिस्से में फोर्स की तैनाती नहीं की गयी.
उपद्रवी जगह-जगह सड़क पर हंगामा करते रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी रही
11 बजे तक पुलिस ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश ही नहीं की
अफवाह न फैले, इसके लिए प्रशासन ने कुछ भी नहीं किया
सुरजीत सिंह, रांची
हिनू के डोरंडा में शुक्रवार की रात हुई घटना की आग शनिवार को शहर के दूसरे हिस्सों में भी फैल गयी. मेन रोड, बहूबाजार, अरगोड़ा चौक, हरमू चौक पर लोग सुबह से ही उपद्रव करते रहे. लोग परेशान होते रहे, स्कूल गये बच्चों की चिंता में हलकान होते रहे. पर, दिन के 11.00 बजे (कई जगहों पर 12 बजे तक) तक शहर के किसी भी हिस्से के लोगों को ऐसा नहीं लगा कि पुलिस उपद्रवियों से कड़ाई से निपट रही है.
सिर्फ डोरंडा में बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती की गयी थी. हिनू समेत शहर के अधिकांश जगहों (जहां पर उपद्रव हुए) पर या तो पुलिस तैनात ही नहीं थी, या थी भी तो बहुत कम संख्या में.
बटम तालाब के पास 10.45 बजे तक सिर्फ ट्रैफिक के दो पुलिसकर्मी थे. प्रशासन ने जो काम दिन के 11.00 बजे के बाद किया, वही काम सुबह में कर देती, तो हालात ऐसे नहीं बनते. अगर अहले सुबह से ही शहर भर में बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती की जाती, तो उपद्रवी सड़क पर निकल कर लोगों को डराने-धमकाने की हिम्मत नहीं कर पाते.
ऐसा नहीं है कि रांची में पुलिस फोर्स की कमी है. शहर व इसके आसपास में ही चार बटालियन (डोरंडा में जैप-एक, टाटीसिल्वे में जैप-दो, होटवार में जैप-10 व झिरी में झारखंड जगुआर) फोर्स है. हर बटालियन में 200-300 फोर्स रहते हैं. पुलिस के सीनियर अधिकारी चाहते तो एक घंटे के भीतर इस फोर्स को शहर में तैनात कर सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुलिस न तो शुक्रवार की रात हिनू की घटना के तुरंत बाद हालात को काबू कर सकी और न ही शनिवार की सुबह में.