एकरारनामा के अनुसार दोनों सड़कों का काम 24.11 करोड़ रुपये की लागत पर पूरा करना था. अॉडिट के दौरान पाया गया कि काम शुरू करने के बाद ठेकेदार ने फरवरी 2012 और अप्रैल 2012 में कार्यपालक अभियंता को अनुरोध पत्र लिखा. इसमें यह कहा कि कार्य क्षेत्र नक्सल प्रभावित होने की वजह से काम करने में परेशानी हो रही है, इसलिए सड़क का स्पेसिफिकेशन बदलें. अभियंता प्रमुख ने ठेकेदार के अनुरोध को अगस्त 2012 और फरवरी 2013 में स्वीकार कर लिया और सड़क का स्पेसिफिकेशन बदल दिया. इसके तहत काम पूरा होने के बाद ठेकेदार को 29.99 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. ठेकेदार के अनुरोध पर बदले गये स्पेसिफिकेशन का एस्टीमेट का 2012 के शिड्यूल रेट पर बनाया गया.
इससे सरकार को 1.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. पीएजी द्वारा इस सिलसिले में सवाल उठाये जाने के बाद विभाग की ओर से इसे तकनीकी जरूरत बताया गया. पीएजी ने विभाग की इस दलील को अमान्य करते हुए नये सिरे से अपनी बात कहने का अनुरोध किया गया. इसके बाद विभाग ने इस बिंदु पर चुप्पी साध ली है.