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नक्सल समस्या के नाम पर रोड का स्पेसिफिकेशन बदला

रांची: राज्य सरकार ने नक्सल समस्या की वजह से ठेकेदार के अनुरोध पर दो सड़कों का स्पेसिफिकेशन बदल दिया. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) के ऑडिट में इस मामले के पकड़ में आने के बाद सरकार ने पहले तो इसे तकनीकी आवश्यक्ता बताया और बाद में चुप्पी साध ली. पीएजी की रिपोर्ट में मामले की चर्चा करते […]

रांची: राज्य सरकार ने नक्सल समस्या की वजह से ठेकेदार के अनुरोध पर दो सड़कों का स्पेसिफिकेशन बदल दिया. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) के ऑडिट में इस मामले के पकड़ में आने के बाद सरकार ने पहले तो इसे तकनीकी आवश्यक्ता बताया और बाद में चुप्पी साध ली. पीएजी की रिपोर्ट में मामले की चर्चा करते हुए कहा गया है कि सरकार ने गढ़वा-चिनिया और नगर ऊंटारी-धुरकी रोड को मजबूत करने की योजना बनायी. सरकार में जुलाई 2009 में इन दोनों सड़कों के लिए 30.30 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी. सेंट्रल डिजाइन अॉर्गनाइजेशन (सीडीओ) के मुख्य अभियंता ने अगस्त 2009 में इसकी तकनीकी स्वीकृति दी.
टेडर निष्पादन के बाद गढ़वा के कार्यपालक अभियंता ने 24.11 कोरड़ की लागत पर दोनों सड़कों का काम पूरा करने के लिए एकरारनामा किया. समय पर काम पूरा नहीं होने की वजह से काम पूरा करने के लिए ठेकेदारों को और समय दिया गया. इसके तहत गढ़वा-चिनिया रोड का काम नवंबर 2012 और नगर ऊंटारी-धुरकी रोड का काम मार्च 2013 तक पूरा करना था.

एकरारनामा के अनुसार दोनों सड़कों का काम 24.11 करोड़ रुपये की लागत पर पूरा करना था. अॉडिट के दौरान पाया गया कि काम शुरू करने के बाद ठेकेदार ने फरवरी 2012 और अप्रैल 2012 में कार्यपालक अभियंता को अनुरोध पत्र लिखा. इसमें यह कहा कि कार्य क्षेत्र नक्सल प्रभावित होने की वजह से काम करने में परेशानी हो रही है, इसलिए सड़क का स्पेसिफिकेशन बदलें. अभियंता प्रमुख ने ठेकेदार के अनुरोध को अगस्त 2012 और फरवरी 2013 में स्वीकार कर लिया और सड़क का स्पेसिफिकेशन बदल दिया. इसके तहत काम पूरा होने के बाद ठेकेदार को 29.99 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. ठेकेदार के अनुरोध पर बदले गये स्पेसिफिकेशन का एस्टीमेट का 2012 के शिड्यूल रेट पर बनाया गया.

इससे सरकार को 1.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. पीएजी द्वारा इस सिलसिले में सवाल उठाये जाने के बाद विभाग की ओर से इसे तकनीकी जरूरत बताया गया. पीएजी ने विभाग की इस दलील को अमान्य करते हुए नये सिरे से अपनी बात कहने का अनुरोध किया गया. इसके बाद विभाग ने इस बिंदु पर चुप्पी साध ली है.

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