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575 करोड़ ब्लैक मनी को ह्वाइट किया

शकील अख्तर, रांची झारखंड के ‌व्यापारियों और बिल्डरों ने पिछले दो साल के दौरान ‘ इंट्री ’ के सहारे 575 करोड़ ब्लैक मनी को ह्वाइट किया है. कागजी तौर पर शेयरों की खरीद बिक्री के सहारे ब्लैक मनी को ह्वाइट करने के लिए अपनाया गयी प्रक्रिया को ‘इंट्री’ के नाम से जाना जाता है. आयकर […]

शकील अख्तर, रांची
झारखंड के ‌व्यापारियों और बिल्डरों ने पिछले दो साल के दौरान ‘ इंट्री ’ के सहारे 575 करोड़ ब्लैक मनी को ह्वाइट किया है. कागजी तौर पर शेयरों की खरीद बिक्री के सहारे ब्लैक मनी को ह्वाइट करने के लिए अपनाया गयी प्रक्रिया को ‘इंट्री’ के नाम से जाना जाता है. आयकर मुख्यालय ने स्टॉक एक्सचेंज से शेयरों की खरीद बिक्री के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद इसकी सूचना दी है. इन सूचनाओं के आधार पर कई व्यापारी और बिल्डर आयकर की गिरफ्त में आ चुके हैं.
कई व्यापारी पकड़ में आये
आयकर विभाग ने शुक्रवार को जमशेदपुर में गोयल बंधुओं के ठिकानों पर छापामारी के दौरान कागजी कंपनियों के शेयरों की खरीद बिक्री दिखा कर ब्लैक मनी को ह्वाइट करने के मामलें में बिपुल सिंह को अपनी गिरफ्त में लिया था. वह गोयल बंधुओं की एक कंपनी में निदेशक हैं. आयकर विभाग द्वारा की गयी जांच पड़ताल के दौरान उन्होंने इंट्री के सहारे ब्लैक मनी को ह्नाइट करने की बात भी मान ली है.आयकर विभाग ने इससे पहले बाबा राइल मिल के ठिकानों पर की गयी कार्रवाई के दौरान भी इंट्री के सहारे ब्लैक मनी को ह्वाइट करने का मामला पकड़ा था. इसके अलावा रांची के बिल्डरों के ठिकानों पर की गयी कार्रवाई के दौरान भी बंसल नामक बिल्डर के ठिकानों पर इंट्री के सहारे ब्लैक मनी को ह्वाइट करने का मामला पकड़ा था.
ऐसे होता है कागजी कंपनियों के सहारे ब्लैक मनी को ह्वाइट करने का काम
आयकर मुख्यालय से भेजी गयी सूचना में कहा गया है कि रांची के व्यापारियों और बिल्डरों ने ब्लैक मनी को ह्वाइट करने के लिए कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज का सहारा लिया है. इन व्यापारियों ने कोलकाता के कागजी कंपनी चलानेवालों से मिल कर ‌उनकी कंपनियों के शेयर 10-10 रुपये में खरीदे.

इसके एक साल बाद उन्हीं लोगों से मिल कर 10-10 रुपये की दर से खरीदे गये शेयरों को 500-1000 रुपये तक में बेचा और अपनी ब्लैक मनी को ह्वाइट किया. ब्लैक मनी को ह्वाइट करने के लिये अपनाये गये इस तरीके को ‘ इंट्री’के नाम के जाना जाता है. इंट्री के सहारे ब्लैक मनी को ह्वाइट करने के लिए व्यापारी पहले कोलकाता में कागजी कंपनी के चलानेवालों से मिलते हैं. उन्हें ब्लैक मनी दे देते हैं. इसके बाद कागजी कंपनियों के शेयर खरीदते हैं. एक साल बाद उन्हीं कागजी कंपनी चलानेवालों के जुड़े लोग इन शेयरों को काफी ऊंची कीमत पर खरीदते हैं और व्यापारियों द्वारा दिये गये रुपये ही उन्हें बैंक के माध्यम के वापस कर देते हैं. इससे संबंधित व्यापारी अपने ही ब्लैक मनी को ‌‌‌शेयर की खरीद बिक्री दिखा कर ह्वाउट कर लेते हैं. साथ हा लांग टर्म कैपिटल गेन दिखा कर आयकर देने से भी बच जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कागजी कंपनी चलानेवाले अपना कमीशन भी ले लेते हैं.

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