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राज्य के कई जिलों को मिल रही घटिया चीनी
संजय रांची : तीन जिलों के जिला आपूर्ति पदाधिकारियों (डीएसओ) ने उनके जिलों में भेजी गयी चीनी की गुणवत्ता संबंधी शिकायत की है. उन्होंने विभाग से कहा है कि चीनी घटिया है. उन्हें सिर्फ डस्ट दिया जा रहा है. चतरा, साहेबगंज व पलामू के डीएसअो ने कहा है कि लाभुक भी इसकी शिकायत कर रहे […]
संजय
रांची : तीन जिलों के जिला आपूर्ति पदाधिकारियों (डीएसओ) ने उनके जिलों में भेजी गयी चीनी की गुणवत्ता संबंधी शिकायत की है. उन्होंने विभाग से कहा है कि चीनी घटिया है. उन्हें सिर्फ डस्ट दिया जा रहा है. चतरा, साहेबगंज व पलामू के डीएसअो ने कहा है कि लाभुक भी इसकी शिकायत कर रहे हैं.
इस पर विभाग ने उन्हें कहा है कि वे जिलों को पहले भेजे गये चीनी के सैंपल का मिलान उन्हें आपूर्ति हो रही चीनी से करें. यदि उन्हें लगता है कि सैंपल मेल नहीं खाते, तो सैंपल सहित विभाग से इसकी शिकायत करें. विभाग सैंपल की जांच कर आगे कार्रवाई करेगा. उल्लेखनीय है कि प्रभात खबर ने चीनी वितरण से पहले ही इसके घटिया होने संबंधी खबर प्रकाशित की थी.
कंपनी को प्रति किलो 11.25 रुपये का मुनाफा!: चीनी की कीमत (33.55 रु प्रति किलो) को लेकर भी पहले से विवाद होता रहा है. अभी भी रांची के खुदरा बाजार में बढ़िया चीनी की कीमत 29 रु प्रति किलो है. वहीं डस्ट चीनी दो रुपये सस्ती है. डस्ट चीनी रांची में 27 रु प्रति किलो में उपलब्ध है.
वहीं थोक में दानेदार चीनी अभी 27.40 रु प्रति किलो तथा डस्ट चीनी करीब 25.30 रु प्रति किलो की दर पर उपलब्ध है. इस तरह झारखंड को चीनी आपूर्ति कर रही महाराष्ट्र की कंपनी वारणा शूगर डस्ट चीनी पर प्रति किलो 13.25 रु अधिक ले रही है. प्रति किलो दो रु पैकिंग चार्ज छोड़ दें, तो कंपनी को प्रति किलो चीनी पर 11.25 रु का मुनाफा हो रहा है.
अब तक डबल बेंच में नहीं दी गयी चुनौती
खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने चीनी की कीमत पर कंपनी से फिर से वार्ता करने की बात कही थी. वहीं प्रति माह 70196 क्विंटल चीनी की निर्धारित मात्रा से कम आपूर्ति करने तथा अधिक कीमत को लेकर उन्होंने कंपनी को डिफॉल्टर घोषित कर ब्लैक लिस्टेड करने सहित आपूर्ति रोक देने का निर्देश दिया था.
इसके आलोक में विभागीय सचिव ने आपूर्ति रोकने संबंधी चिट्ठी कंपनी को फैक्स की थी. इसके बाद कंपनी ने झारखंड हाईकोर्ट में विभागीय अादेश को चुनौती दी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने आपूर्ति बहाल कर दी. इधर विभाग ने हाइकोर्ट के सिंगल बेंच के इस आदेश को अब तक डबल बेंच में चुनौती नहीं दी है.
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