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सिर्फ कानून से नहीं चलता रिश्ता: जस्टिस प्रसाद

रांची : जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने कहा है कि पति-पत्नी का रिश्ता सिर्फ कानून से नहीं चलता है. कानून वहां के लिए है, जहां बात बरदाश्त से बाहर हो. कानून के प्रति अधिक सचेत होना पति-पत्नी के रिश्ते को कमजोर करता है. काेई भी परिवार आपसी श्रद्धा, विश्वास व समर्पण से चलता है, न कि […]

रांची : जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने कहा है कि पति-पत्नी का रिश्ता सिर्फ कानून से नहीं चलता है. कानून वहां के लिए है, जहां बात बरदाश्त से बाहर हो. कानून के प्रति अधिक सचेत होना पति-पत्नी के रिश्ते को कमजोर करता है. काेई भी परिवार आपसी श्रद्धा, विश्वास व समर्पण से चलता है, न कि कानूनी अधिकारों के प्रति सचेत होने से. पहले परिवार फिर अधिकार की बात होनी चाहिए.
वह गुरुवार को ‘बाल विवाह के सवाल पर बालिकाओं के सशक्तीकरण और झारखंड में घरेलू हिंसा व बालिकाओं तस्करी से इसके संबंध’ विषयक राज्यस्तरीय परामर्श के दौरान बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन बदलाव फाउंडेशन, वीमेन पावर कनेक्ट और चेतना विकास ने ‘अमलताश’ ने किया.
उन्होंने कहा कि जब हम परिपाठी व संस्कृति को भुलाते हैं, तब असफलताएं दिखती हैं. उदाहरणस्वरूप निर्भया कांड के बाद जुबेनाइल जस्टिस एक्ट में नाबालिग होने के सही उम्र क्या हो, इस विषय पर बहस चली. घरेलू हिंसा के मामले जापान जैसे शिक्षित संपन्न देशों में भी हैं. इस विषय पर मनोवैज्ञानिक पड़ताल की भी जरूरत है.
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सामाजिक, आर्थिक व राजैनैतिक न्याय की बात है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महिलाओं व बच्चों के लिए विशेष कानून बने. महिलाएं ऐतिहासिक रूप से पिछड़ी हैं.
बच्चे भी देश के भविष्य हैं. देश में महिलाओं की संख्या कम है. हमें उस सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. यूएन वीमेन, एशिया ऑफिस की भूमिका झंब ने कहा कि14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के लिए काफी बढ़ा कर वित्तीय प्रावधान किये हैं.
साथ ही राज्य को यह निर्देश भी दिया है कि महिला मुद्दों पर काम करे. बदलाव फाउंडेशन के संस्थापक सचिव बजरंग ने कहा कि यदि बाल विवाह और महिला उत्पीड़न के विषय अशिक्षा और गरीबी से जुड़े हैं, तो यह आदिवासियों में क्यों कम है? इसमें सामाजिक संस्कृति जैसी बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि बालिका सशक्तीकरण, सामाजिक नियम कानून में परिवर्तन, सरकारे सेवा से जोड़ने, कानून की समझ व गुणवत्तापूर्ण शिक्षासे बाल विवाह की समस्या से निजात पा सकते हैं. मौके पर प्लान इंडिया की राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अर्घ्या मुखर्जी, विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव रजनीकांत पाठक, राधिका खजुरिया, रानी कुमारी, पत्रकार मधुकर, रेशमा, स्वतंत्र सलाहकार गुरजीत सिंह व खाद्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट के राज्य सलाहकार बलराम ने भी विचार रखे.

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