रांची : जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) झारखंड में स्वदेशी कोल प्रोड्यूस गैस बनायेगा. जेएसपीएल देश में पहली बार यह तकनीक ला रहा है. इस गैस का इस्तेमाल फर्नेंस में ईंधन के लिए किया जाता है. अबतक यह गैस आयात कर मंगायी जाती है. अब जेएसपीएल अगले माह पतरातू में इसे आरंभ करने जा रहा है. लगभग सौ करोड़ की लागत से कोल प्रोड्यूस गैस के प्लांट लगाये गये हैं. यह जानकारी जेएसपीएल बिजनेस हेड हरविंदर सिंह ने दी. उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया के नारे को जेएसपीएल भी साकार कर रहा है. वह मंगलवार को सिंगल विंडो सिस्टम की लांचिंग के मौके पर रांची आये हुए थे. प्रभात खबर के साथ उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर बात की. प्रस्तुत है उनसे बातचीत के मुख्य अंश :
झारखंड में उद्योगों की क्या संभावना आप देखते हैं?
झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य है. यहां खनिज है, जंगल है और मैनपावर भी है. सिर्फ इसे तराशने की जरूरत है. बस एक सोच हो तो , यह राज्य तेजी से आगे बढ़ निकलेगा इसमें कोई शक नहीं है. झारखंड की वर्तमान सरकार को बधाई. पहली बार राज्य में एक मजबूत सरकार आयी है और झारखंड सक्षम बनेगा इसकी प्रतिबद्धता दिख रही है. सिंगल विंडो को लाकर सरकार ने एक बोल्ड स्टेप उठाया है. बहुत जल्द ही यह राज्य देश के टॉप पांच विकसित राज्यों में शामिल हो जायेगा.
उद्योगों के प्रति वर्तमान सरकार का रुख क्या है?
सरकार का रुख तो सिंगल विंडो से ही दिख रहा है. सकारात्मक पहल की जा रही है. सबसे बड़ी बात है कि मुख्यमंत्री खुद निवेशकों के लिए उपलब्ध रहते हैं. कोई भी समस्या हो आप उनसे आसानी से मिल कर बता सकते हैं. अधिकारी भी काफी सपोर्टिव हैं. सरकार प्रो इंडस्ट्रीज है. यह एक अवसर है, सरकार राज्य को जितना आगे ले जाना चाहती ले जा सकती है. बस एक सही दिशा की जरूरत है.
जेएसपीएल की परियोजनाओं की क्या स्थिति है?
जेएसपीएल 2005-06 में झारखंड में आयी. पतरातू में प्लांट आरंभ किये हुए आठ साल हो गये हैं. यह प्लांट एक मोस्ट मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बना है. देश की पहली कंपनी है जो भूकंपरोधी टीएमटी बना रही है. अभी तो रायगढ़ से पिलेट मंगाकर पतरातू में टीएमटी बनाया जा रहा है, जो बाजार में जिंदल पैंथर के नाम से उपलब्ध है. इसका फीडबैक आप किसी भी राजमिस्त्री, इंजीनियर या कांट्रैक्टर से ले सकते हैं. कंपनी अब जल्द ही रेडी टू यूज टीएमटी बाजार में लायेगी. यानी आपको जिस शेप में टीएमटी चाहिए उसी शेप में मिलेगा. इससे घर बनाने वालों को लागत कम आयेगी, वेस्टेज भी कम होगा. 500 एस की क्वालिटी सिर्फ जिंदल पैंथर ही देता है. जल्द ही कंक्रीट जाली भी तैयार करने की मशीन लगाने जा रहे हैं. यानी फाउंडेशन के लिए आपको जाली बनाने की जरूरत नहीं होगी, यह रेडीमेड ही मिल जायेगा. पतरातू में तीन एमटी का ब्लास्ट फर्नेंस लगाने जा रहे हैं. कई वैल्यू एडिशन के काम हो रहे हैं, जो जल्द ही पतरातू में देखने को मिलेगा. सही मायने में हम मेक इन इंडिया के नारे को साकार कर रहे हैं. कई नयी तकनीकों पर काम हो रहा है. फर्नेंस के जो इंधन कल तक विदेशों से आयात किये जाते थे वह अब पतरातू में बनेगा. कोल प्रोड्यूस गैस एक सौ करोड़ की लागत से जेएसपीएल बनाने जा रहा है.
क्या जेएसपीएल गोड्डा में पावर प्लांट लगायेगा, वह भी तब जब कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द हो गया?
हम राज्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं. गोड्डा में 1300 मेगावाट के पावर प्लांट लगाने की योजना अभी भी है. यहां काफी निवेश हो चुका है. यह सही है कि कोल ब्लॉक का आवंटन सरकार की नीतियों की वजह से रद्द हो गया है. पहले यह कैप्टिव पावर प्लांट था. हमने इसे इंडीपेंडेट पावर प्लांट(आइपीपी) का दर्जा देने की मांग की है. अाइपीपी का दर्जा मिल जाने पर हम कहीं से भी कोल लिंकेज लेकर पावर प्लांट चला सकते हैं. सरकार जैसे ही अाइपीपी का दर्जा देती है हम पावर प्लांट की दिशा में काम आरंभ करेंगे. अभी भी वहां कई लोग कार्यरत हैं.
अकसर देखा जाता है कि कॉरपोरेट कंपनियां सीएसआर कम करती हैं और अपने मुनाफे पर ज्यादा ध्यान देती है?
यह जेएसपीएल के संदर्भ में नहीं कहा जा सकता. जेएसपीएल की पहली प्राथमिकता सीएसआर होता है. हम जहां प्लांट लगा रहे हैं वहां का विकास हम अपनी जिम्मेवारी और कर्तव्य मानकर करते हैं. जेएसपीएल सीएसआर के क्षेत्र में कई काम कर रहा है. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्कील डेवलपमेंट किये जा रहे हैं. सिलाई-बुनाई, काथा वर्क, लाह उत्पाद, मछली पालन आदि के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. एडवांस कृषि तकनीक के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. अभी 25 बिरहोर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पतरातू, बलकुदरा व आसपास के गांवों में पेयजल की व्यवस्था की गयी है. सड़क बनाये गये हैं. यह सब कंपनी अपनी जिम्मेवारी समझ कर करती है. स्कूल हैं, तकनीकी संस्थान चल रहे हैं. स्वास्थ्य के लिए समय-समय पर कैंप लगाये जाते हैं. झारखंड के विकास में हम सहभागी होकर साथ-साथ चलना चाहते हैं.