भूगोल की विभागाध्यक्ष डॉ देवजानी राय ने नष्ट होते जंगल व जलवायु परिवर्तन के रिश्ते को रेखांकित किया. इतिहास की एचओडी डॉ अंजना सिंह ने कहा कि विभिन्न प्रजातियों की घटती संख्या चिंता का विषय है. जितनी प्रजातियां होंगी, धरती उतनी ही सुदृढ़ होगी. प्रकृति में संतुलन बनाये रखने में हर प्रजाति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मनोविज्ञान की एचओडी डॉ ज्योति प्रसाद ने कहा कि हम धरती को मां का दर्जा देते हैं, पर अपने विकास के लिए निर्ममतापूर्वक इसका दोहन करते हैं. हमारे लालच के कारण तापमान बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और अम्लीय वर्षा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. अर्थशास्त्र की एचओडी डॉ एनडी ंएक्का ने कहा कि संतुलित विकास वही है, जिसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना और भावी पीढ़ियों के हित को ध्यान में रखते हुए विकास किया जाये. राजनीतिशास्त्र की एचओडी डॉ रश्मिमाला साहू ने कहा कि वैश्विक समस्या का सभाधान भी वैश्विक हाेना चाहिए. भारत वर्ष 1968 से पर्यावरण संरक्षण के लिए कानून बना रहा है. जब अंतिम पेड़ कट जायेगा, तब हम अहसास करेंगे कि हम पैसे नहीं खा सकते.
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मिल कर सुंदर सृष्टि की रक्षा करें : सिस्टर ज्योति
रांची : निर्मला कॉलेज की प्राचार्य सिस्टर डॉ ज्योति ने कहा कि ईश्वर ने हमें एक सुंदर सृष्टि दी है. इसे सुरक्षित रखने के तरीके हमें ढूंढ़ने होंगे. हम साथ मिल कर ही इस धरती की रक्षा कर सकते हैं. वह मंगलवार को कॉलेज में ‘द केयर ऑफ अवर कॉमन होम’ विषयक सेमिनार को संबोधित […]
रांची : निर्मला कॉलेज की प्राचार्य सिस्टर डॉ ज्योति ने कहा कि ईश्वर ने हमें एक सुंदर सृष्टि दी है. इसे सुरक्षित रखने के तरीके हमें ढूंढ़ने होंगे. हम साथ मिल कर ही इस धरती की रक्षा कर सकते हैं. वह मंगलवार को कॉलेज में ‘द केयर ऑफ अवर कॉमन होम’ विषयक सेमिनार को संबोधित कर रही थीं. इसमें पूर्व प्राणी विज्ञान की एचओडी डॉ एम्मा सेराफिम ने विषय प्रवेश कराया. उन्होंने कहा कि सभ्यता के विकास के साथ-साथ प्रकृति के दोहन का सिलसिला भी बढ़ता गया है. हमें धरती के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है.
भूगोल की विभागाध्यक्ष डॉ देवजानी राय ने नष्ट होते जंगल व जलवायु परिवर्तन के रिश्ते को रेखांकित किया. इतिहास की एचओडी डॉ अंजना सिंह ने कहा कि विभिन्न प्रजातियों की घटती संख्या चिंता का विषय है. जितनी प्रजातियां होंगी, धरती उतनी ही सुदृढ़ होगी. प्रकृति में संतुलन बनाये रखने में हर प्रजाति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मनोविज्ञान की एचओडी डॉ ज्योति प्रसाद ने कहा कि हम धरती को मां का दर्जा देते हैं, पर अपने विकास के लिए निर्ममतापूर्वक इसका दोहन करते हैं. हमारे लालच के कारण तापमान बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और अम्लीय वर्षा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. अर्थशास्त्र की एचओडी डॉ एनडी ंएक्का ने कहा कि संतुलित विकास वही है, जिसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना और भावी पीढ़ियों के हित को ध्यान में रखते हुए विकास किया जाये. राजनीतिशास्त्र की एचओडी डॉ रश्मिमाला साहू ने कहा कि वैश्विक समस्या का सभाधान भी वैश्विक हाेना चाहिए. भारत वर्ष 1968 से पर्यावरण संरक्षण के लिए कानून बना रहा है. जब अंतिम पेड़ कट जायेगा, तब हम अहसास करेंगे कि हम पैसे नहीं खा सकते.
छात्रों की भूमिका अहम
अंगरेजी की एचओडी डॉ आफरीन खान ने कहा कि पृथ्वी हम सबका घर है और हमें मिल कर इसकी देखभाल करनी चाहिए. छात्र प्रतिनिधि माणिका एक्का ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका अहम है. सिर्फ सरकार पर जिम्मेवारी छोड़ना ठीक नहीं. पेड़ लगायें, पेट्रोल चलित वाहनों की जगह साइकिल का प्रयोग करें और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का इस्तेमाल करें. छात्रा माधुरी दास, सुजाता कुमारी, मीनल टोप्पो, जैस्मिन, स्वीकृति, रोमा कुमारी, सिस्टर रीता सांची कुमारी ने भी विचार रखे. मौके पर कनक लता रिद्धि व अन्य मौजूद थीं.
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