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स्पोर्ट्स कैलेंडर भी हो रहा फेल

रांची: पंचायत युवा खेलकूद अभियान (पाइका) एक केंद्र प्रायोजित योजना है. पंचायत व प्रखंड स्तर पर खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खेल नीति-01 के तहत इसकी शुरुआत की गयी है. इधर चालू वित्तीय वर्ष में पाइका के लिए जिलों को अब तक राशि ही नहीं मिली है. विभागीय सूत्रों के अनुसार इसकी वजह […]

रांची: पंचायत युवा खेलकूद अभियान (पाइका) एक केंद्र प्रायोजित योजना है. पंचायत व प्रखंड स्तर पर खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खेल नीति-01 के तहत इसकी शुरुआत की गयी है. इधर चालू वित्तीय वर्ष में पाइका के लिए जिलों को अब तक राशि ही नहीं मिली है. विभागीय सूत्रों के अनुसार इसकी वजह उपायुक्तों से उस राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिलना है, जो उन्हें गत वर्ष दी गयी थी.

इधर पैसे के अभाव में पंचायत, प्रखंड व जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताएं नहीं हो रही है. वहीं संरचना निर्माण व खेलकूद सामग्री की खरीद का काम भी बंद है. दरअसल पाइका के लिए 75 फीसदी खर्च केंद्र सरकार देती है. वहीं राज्य को 25 फीसदी योगदान देना होता है. चालू वित्तीय वर्ष में पाइका का बजट 1.8 करोड़ रुपये है. खेलकूद की हवा सिर्फ ऐसे ही नहीं निकल रही. पूरे राज्य में सिर्फ एक (रांची में) जिला खेल पदाधिकारी है. इससे जिलों में खेलकूद के आयोजन व विभागीय खर्च में परेशानी होती है. राज्य का स्पोर्ट्स कैलेंडर (खेल पंचांग) भी फेल हो रहा है. यानी खेल प्रतियोगिताएं अपने पूर्व निर्धारित समय पर नहीं हो रही. राष्ट्रीय खेल के लिए बने करीब सात सौ करोड़ रुपये के मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की दुर्दशा को भी इस संस्कृति से जोड़ दिया जाये, तो खेलकूद की स्टेट पॉलिसी का पता चल जाता है.

प्रखंड व जिला स्तरीय ये प्रतियोगिताएं भी नहीं : एथलेटिक्स, हॉकी, फुटबॉल, खो-खो, तीरंदाजी, कुश्ती, ताइक्वांडो, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, निशानेबाजी, मुक्केबाजी, बास्केटबॉल, लॉन टेनिस, टेबल टेनिस, वेट लिफ्टिंग, थ्रो बॉल व कैरम)

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