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पांच महीने से बंद है दो कोल ब्लॉक

रांची : एक अप्रैल 2015 से राज्य के दो कोल ब्लॉक से उत्पादन बंद है. उत्पादन कब शुरू होगा, यह कोई नहीं जानता. इन कोल ब्लॉक में कार्यरत 10 हजार मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया है. एक कोल ब्लॉक है चंदनकियारी स्थित परबतपुर कोल ब्लॉक व दूसरा है पाकुड़ जिले के आमरापाड़ा […]

रांची : एक अप्रैल 2015 से राज्य के दो कोल ब्लॉक से उत्पादन बंद है. उत्पादन कब शुरू होगा, यह कोई नहीं जानता. इन कोल ब्लॉक में कार्यरत 10 हजार मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया है. एक कोल ब्लॉक है चंदनकियारी स्थित परबतपुर कोल ब्लॉक व दूसरा है पाकुड़ जिले के आमरापाड़ा स्थित पचुवार सेंट्रल कोल ब्लॉक. यहां कार्यरत सारे लोग बेरोजगार हो गये हैं. इन दो कोल ब्लॉक में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोग 31 मार्च 2015 तक कार्यरत थे.
क्या है मामला: सुप्रीम कोर्ट द्वारा सितंबर 2014 को कोल ब्लॉक आवंटन रद्द कर दिया गया था. साथ उस समय कोल ब्लॉक से उत्खनन करने वाली कंपनी को 31 मार्च 2015 तक ही उत्खनन करने की इजाजत थी. एक अप्रैल 2015 से ही दोनों कोल ब्लॉक में कामकाज बंद हो गया.
परबतपुर कोल ब्लॉक का नहीं हो सका है अॉक्शन: बोकारो जिले में चंदनकियारी प्रखंड स्थित परबतपुर कोल ब्लॉक वर्ष 2005 में इलेक्ट्रोस्टील स्टील लिमिटेड को आवंटित हुआ था. वर्ष 2006 से इस भूमिगत कोयल खदान से उत्पादन हो रहा है. करीब 600 एकड़ में यह कोल ब्लॉक है. यहां प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पांच हजार लोग कार्यरत थे. इसमें कोयले की ढुलाई में ही लगभग दो हजार लोग कार्यरत थे. 31 मार्च 2015 के बाद से इलेक्ट्रोस्टील के पास यह कोल ब्लॉक नहीं रहा. मजदूरों से भी कंपनी ने पल्ला झाड़ लिया. परबतपुर कोल ब्लॉक के लिए ऑक्शन हुआ था, पर पहली बार के अॉक्शन में एक ही कंपनी ने हिस्सा लिया था. इसके चलते इसे टाल दिया गया. दूसरी बार भी अॉक्शन के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय की सूची में इस कोल ब्लॉक का नाम था, पर अॉक्शन नहीं हो सका. उधर पहली बार अॉक्शन टाल दिये जाने के बाद केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा कोल ब्लॉक के संचालन के लिए बीसीसीएल को इस कोल ब्लॉक के लिए कस्टोडियन बना दिया है.

हालांकि बीसीसीएल द्वारा दो अप्रैल से कोल ब्लॉक से उत्पादन बंद करवा दिया गया. तब से यहां के सारे मजदूर बेकार बैठे हुए हैं. इलेक्ट्रोस्टील के अधिकारी अब इस कोल ब्लॉक के बाबत कोई बात नहीं करना चाहते. इतना जरूर कहा कि जब खदान चालू हालत में थी तब एक लाख मेट्रिक टन कोयले का उत्पादन होता था. फिलहाल दो अप्रैल से उत्पादन बंद है.

पचुवारा से भी उत्पादन बंद है
पाकुड़ जिले के आमरापाड़ा स्थित पचुवारा सेंट्रल कोल ब्लॉक पूर्व में पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को मिला था. पंजाब पावर ने एमटा को माइंस डेवलपर व ऑपरेटर के रूप में नियुक्त करते हुए ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनायी थी, जिसका नाम था पैनम कोल माइंस लिमिटेड. पैनम कोल माइंस लिमिटेड द्वारा ही पचुवारा सेंट्रल में कोल ब्लॉक का उत्खनन किया जाता था. यहां भी लगभग पांच हजार लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत थे. बाद में इस कोल ब्लॉक को दोबारा पंजाब इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन को ही आवंटित किया गया है. हालांकि अभी तक डेवलपर नियुक्त करने व लीज की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. पचुवारा से उत्पादन वर्ष 2002 से शुरू हुअा था. यहां 562 लाख टन कोयले का भंडार है. ओपन कॉस्ट माइनिंग वाले इस कोल ब्लॉक से सालाना सात लाख टन कोयले का उत्पादन 31 मार्च 2015 तक होता था. फिलहाल यहां भी उत्खनन पूरी तरह बंद है.

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