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बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पर दर्ज होगी प्राथमिकी
सिकिदिरी : हाइडल प्रोजेक्ट में गड़बड़ी की जांच कर रही है सीबीआइ रांची : सीबीआइ के पास एक्सलेरेटेड पावर डेवलपमेंट रिफॉर्म प्रोग्राम (एपीडीआरपी) या ट्रांसमिशन लाइन में गड़बड़ी से संबंधित कोई मामला जांच के लिए लंबित नहीं है. हालांकि मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच होने तक बिजली बोर्ड के मामले में निगरानी जांच स्थगित करने का […]
सिकिदिरी : हाइडल प्रोजेक्ट में गड़बड़ी की जांच कर रही है सीबीआइ
रांची : सीबीआइ के पास एक्सलेरेटेड पावर डेवलपमेंट रिफॉर्म प्रोग्राम (एपीडीआरपी) या ट्रांसमिशन लाइन में गड़बड़ी से संबंधित कोई मामला जांच के लिए लंबित नहीं है. हालांकि मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच होने तक बिजली बोर्ड के मामले में निगरानी जांच स्थगित करने का आदेश दिया है. सिर्फ सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ी के मामले की प्रारंभिक जांच सीबीआइ में चल रही है. इस मामले में बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एनएन वर्मा सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी चल रही है. बोर्ड ने ठेकेदारों को दिये गये 1815 करोड़ रुपये के अग्रिम का ब्योरा अब तक सीबीआइ को उपलब्ध नहीं कराया है.
मुख्यमंत्री ने रांची, जमशेदपुर, खूंटी, रामगढ़, जामताड़ा और पाकुड़ में एपीडीआरपी में हुई गड़बड़ी की जारी निगरानी जांच को सीबीआइ जांच पूरी होने तक स्थगित करने का आदेश दिया है. उन्होंने मैघन-जामताड़ा 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन में हुई गड़बड़ी के मामले में जारी निगरानी जांच को भी स्थगित कर दिया है. दूसरी तरफ सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि उनके पास एपीडीआरपी या ट्रांसमिशन लाइन में हुई गड़बड़ी के संबंधित कोई जांच लंबित नहीं है. एपीडीआरपी, जमशेदपुर में ठेकेदार को नौ करोड़ रुपये के भुगतान में गड़बड़ी की जांच निगरानी कर रही थी.
यह मामला सीबीआइ को हस्तांतरित किया गया था. सीबीआइ ने इस मामले की जांच के बाद यह पाया कि एपीडीआरपी जमशेदपुर में आरबिट्रेटर के आदेश के बाद ठेकेदार को भुगतान किया गया था. भुगतान के मामले में विवाद होने पर सरकार ने न्यायिक सेवा के अधिकारी रामायण पांडेय को आरबिट्रेटर नियुक्त किया था. उन्होंने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया था. जमशेदपुर एपीडीआरपी की जांच के बाद सीबीआइ ने बोर्ड को इस बात की लिखित सूचना दी कि भुगतान आरबिट्रेटर के आदेश पर हुआ है. यह एक न्यायिक प्रक्रिया है.
न्यायिक प्रक्रिया के तहत किये गये किसी फैसले के खिलाफ सीबीआइ को जांच करने का अधिकार नहीं है. बोर्ड यदि यह मानता है कि भुगतान गलत हुआ है, तो वह आरबिट्रेटर के आदेश के खिलाफ न्यायालय में अपील कर सकता है. रांची रागमढ़, जामताड़ा या पाकुड़ में एपीडीआरपी योजना के तहत हुई किसी तरह की गड़बड़ी के सिलसिले में सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी, इसलिए इससे संबंधित कोई मामला सीबीआइ के पास विचाराधीन नहीं है. हाइकोर्ट में दायर जनहित याचिका (1793/2001) के) फैसले के आलोक में सीबीआइ ने ट्रांसफरमर और मीटर बॉक्स खरीद में हुई कथित गड़बड़ी के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की थी.
जांच के बाद इन दोनों मामलों में अंतिम प्रपत्र (फाइनल रिपोर्ट) दाखिल किया जा चुका है. हाइकोर्ट ही आदेश के आलोक में सीबीआइ ने बिजली बोर्ड के बुक ऑफ अकाउंटस की जांच की थी. इसमें यह पाया गया था कि बोर्ड ने ठेकेदारों को 1815 करोड़ रुपये का अग्रिम दे रखा है. बार-बार मांगे जाने के बावजूद बोर्ड ने इससे संबंधित विस्तृत ब्योरा सीबीआइ को उपलब्ध नहीं कराया. सीबीआइ ने यह पाया था कि बोर्ड के अधिकारी अपनी पत्नी, भाई व अन्य रिश्तेदारों के नाम पर विभिन्न तरह के काम करते हैं. कोई ट्रांसफरमर मरम्मत करता है तो कोई सामग्रियों की आपूर्ति करता है.
सीबीआइ ने इस तरह के दर्जन भर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की. हालांकि इससे पहले ही बिजली बोर्ड ने नियम बना कर पत्नी,भाई या अन्य पारिवारिक सदस्यों के नाम पर सप्लाई आदि के काम को जायज करार दिया. हाइकोर्ट के आदेश पर जारी जांच के दौरान ही कुछ लोगों ने सीबीआइ मुख्यालय को जांच अधिकारी के खिलाफ ठेकेदारों को मदद करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की.
इन शिकायतों के आधार पर सीबीआइ मुख्यालय ने जांच अधिकारी के विरुद्ध भी जांच की और आरोपों को निराधार पाया. सीबीआइ के पास फिलहाल सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ी की प्रारंभिक जांच चल रही है. सीबीआइ ने इस मामले में बोर्ड तत्कालीन अध्यक्ष एसएन वर्मा सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति अपने शीर्ष अधिकारियों से मांगी है. अनुमति मिलते ही इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.
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