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कुल 352 कर्मियों में से 202 रिटायर
राज्य खाद्य निगम : कर्मचारियों की कमी, नियुक्ति नहीं रांची : राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के कुल 352 कर्मचारियों में से 202 लोग सेवानिवृत्त हो गये हैं. अब मात्र 150 लोग ही निगम में बचे हैं. इससे निगम का काम किसी तरह चल रहा है. उधर, सेवानिवृत्त कर्मियों को सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिलने से उनकी […]
राज्य खाद्य निगम : कर्मचारियों की कमी, नियुक्ति नहीं
रांची : राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के कुल 352 कर्मचारियों में से 202 लोग सेवानिवृत्त हो गये हैं. अब मात्र 150 लोग ही निगम में बचे हैं. इससे निगम का काम किसी तरह चल रहा है.
उधर, सेवानिवृत्त कर्मियों को सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिलने से उनकी माली हालत खस्ता है. फरवरी 2011 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य खाद्य निगम का गठन हुआ था. तब झारखंड को बिहार से कुल 352 लोग मिले थे. इनमें से अब तक 202 लोग रिटायर हो गये हैं. वहीं इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है.
कुल 311 पद रिक्त : इधर राज्य खाद्य निगम में सहायक प्रबंधक के 245, लेखापाल के 30 तथा लिपिक के कुल 36 पद रिक्त हैं. इतने पदों के रिक्त रहने से निगम का काम बाधित हो रहा है.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद निगम का काम और बढ़ेगा. इससे पहले वर्तमान प्रबंध निदेशक (एमडी) बालेश्वर सिंह ने कुल 31 लोगों की नियम विरुद्ध नियुक्ति की थी. ये नियुक्ति गैर सृजित पदों पर बगैर निदेशक पर्षद की सहमति से हुई थी. बाद में इसकी जांच हुई तथा सभी नियुक्त लोगों को जनवरी 2015 में हटा दिया गया.
अनुकंपा पर नियुक्ति नहीं : एक तरफ निगम में कई पद रिक्त हैं, दूसरी ओर अनुकंपा पर बहाली नहीं हो रही, जबकि खुद मुख्यमंत्री ने रिक्त पदों के विरुद्ध अनुकंपा पर बहाली करने का निर्देश सभी विभागों को दिया है.
खुद सर्वोच्च न्यायालय ने भी सुषमा गोसाईं बनाम केंद्र सरकार के मामले में स्पष्ट आदेश दिया है कि किसी कमाऊ कर्मचारी की मौत पर उसके पारिवारिक सदस्य को सरकार तत्काल नौकरी दे. ऐसे लोगों के मामले लंबित रखने को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित कहा था. इस आलोक में राज्य सरकार (बिहार व झारखंड) के भी कई निर्देश का पालन नहीं हो रहा है.
सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिल रहा
इधर, सेवानिवृत्त हो चुके निगम के कुल 202 कर्मियों में से सिर्फ 14 को ही सेवानिवृत्ति का लाभ मिला है. दरअसल पूर्व खाद्य सचिव अजय कुमार ने खाद्य आपूर्ति विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव रणवीर सिंह की सलाह पर इस मामले को वित्त विभाग की सहमति के लिए भेज दिया था.
इससे पहले वित्तीय मामलों में निगम के स्वावलंबी होने के तर्क के साथ सेवानिवृत्ति लाभ दिया गया था. गौरतलब है कि निगम अपने संचालन का खर्च अपनी आमदनी से ही पूरा करता है, पर वित्त की सहमति के लिए गयी उक्त फाइल पर आज तक सहमति नहीं हो सकी है.
निगम कर्मियों का कहना है कि निगम की पहली अध्यक्ष राजबाला वर्मा ने सेवानिवृत्ति लाभ देने के लिए स्पष्ट गाइड लाइन बना दी थी, पर बाद के अधिकारियों ने मामले को फंसा दिया.
अवमानना का मामला
सेवानिवृत्त हो रहे कर्मियों में से कुछ ने हाइकोर्ट में अपील की है. सेवानिवृत्ति लाभ से संबंधित कुल 46 मामले हाइकोर्ट में हैं.
इनमें से कुछ मामले में निर्णय भी आ गया, जिसमें कोर्ट ने सरकार से संबंधित कर्मी को रिटायरमेंट बेनिफिट देने को कहा, पर मामला वित्त में फंसा होने से यह लाभ नहीं मिला. अब हाइकोर्ट में अवमानना के भी दो-तीन मामले हैं.
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