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धरातल पर विकास का सैंपल-7
मनोज लाल रांची : राजधानी रांची से सटे रातू प्रखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों की दुर्दशा सरकारी व्यवस्था की पोल खोल रही है. यहां पाली पंचायत में गोहाल (गाय रखने के लिए कमरा) जैसे छोटे से कमरे में केंद्र चल रहा है. यह केंद्र सेविका के घर से बिल्कुल सटा है. केंद्र के अंदर बिल्कुल अंधेरा […]
मनोज लाल
रांची : राजधानी रांची से सटे रातू प्रखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों की दुर्दशा सरकारी व्यवस्था की पोल खोल रही है. यहां पाली पंचायत में गोहाल (गाय रखने के लिए कमरा) जैसे छोटे से कमरे में केंद्र चल रहा है.
यह केंद्र सेविका के घर से बिल्कुल सटा है. केंद्र के अंदर बिल्कुल अंधेरा है. दरवाजा तक नहीं है. एसबेस्टस की छत है. इसमें बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. अगर बच्चे या महिलाएं आयीं, तो जमीन पर बैठते हैं. इस कमरे में केंद्र चलाने के लिए 200 रुपये किराया भी दिया जा रहा है .
सेविकाओं के घरों में चल रहे हैं 20 केंद्र
मुरमू, गुटुवाटोली, उषामातू, रातू बड़काटोली सहित अन्य 20 केंद्रों की स्थिति ठीक नहीं है. इन केंद्रों का संचालन आंगनबाड़ी सेविकाओं के घरों से हो रहा है. छोटे से जगह से इन केंद्रों का संचालन हो रहा है.
केंद्र के लिए नहीं मिल रही जमीन
रातू की सीडीपीओ अलका हेंब्रम बताती हैं कि केंद्रों के लिए जमीन की तलाश की जा रही है.जमीन नहीं मिलने की वजह से केंद्र नहीं बन पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि केंद्र के निर्माण के लिए जहां-जहां जमीन चाहिए, इसकी सूची अंचल कार्यालय को दे दी गयी है, पर अभी तक जमीन नहीं मिली है. इस पर ग्रामीण कहते हैं कि यह आश्चर्य की बात है कि इतनी सरकारी जमीन रहते केंद्र के निर्माण के लिए कैसे जमीन नहीं मिल रही है.
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