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निगरानी जांच का भय भी दिखाते थे पीए
स्वास्थ्य मंत्री के पीए का मामला मंत्री के पत्र में ही ऐसा किया था रांची : स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के आप्त सचिव सत्येंद्र नारायण सिंह ने मंत्री की लिखी एक चिट्ठी में अपने स्तर से एक अधिकारी को निगरानी का भय दिखाया था. यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर मंत्री की सहमति थी […]
स्वास्थ्य मंत्री के पीए का मामला
मंत्री के पत्र में ही ऐसा किया था
रांची : स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के आप्त सचिव सत्येंद्र नारायण सिंह ने मंत्री की लिखी एक चिट्ठी में अपने स्तर से एक अधिकारी को निगरानी का भय दिखाया था. यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर मंत्री की सहमति थी या नहीं.
छह जुलाई को स्वास्थ्य मंत्री ने आयुष की दवा खरीद मामले में विभागीय सचिव को एक चिट्ठी लिखी थी. सचिव को उन्होंने राज्य में हुई चार करोड़ की दवा खरीद मामले में निदेशक आयुष से स्पष्टीकरण प्राप्त कर उन्हें अवगत कराने का निर्देश दिया था.
उन्होंने लिखा था कि विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि निदेशक आयुष ने फिल्ड से औषधि की सूची प्राप्त किये बिना आपूर्ति आदेश निर्गत किया है. बगैर विभागीय आदेश प्राप्त किये ही होमियो पैथिक दवाओं की खरीद का आदेश निर्गत किया गया है. दवाओं की जांच भी नहीं हुई है. अत: दवा खरीद के लिए पूर्व निर्धारित दिशा-निर्देश की प्रति के साथ, एक सप्ताह के अंदर निदेशक से स्पष्टीकरण प्राप्त कर उन्हें अवगत कराया जाये.
इधर प्रधान सचिव को लिखी इस चिट्ठी में उनके सरकारी पीए सत्येंद्र नारायण सिंह ने आयुष निदेशक को अपने स्तर से निगरानी जांच का भय दिखाया था. निदेशक को प्रेषित प्रतिलिपि में उन्होंने लिखा था कि निर्देश है कि अपने स्पष्टीकरण की एक प्रति सीधे अधोहस्ताक्षरी (उन्हें) को उपलब्ध करायें कि क्यों नहीं उक्त मामले को वित्तीय अनियमितता मानते हुए इसकी जांच निगरानी से करायी जाये.
क्या है मामला
आयुष निदेशालय के अनुसार दवाओं की खरीद सचिव की सहमति से केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार ही हो रही है. होमियो पैथिक दवा की खरीद केरल की सरकारी कंपनी से हो रही है, जो देश भर में होमियो पैथिक दवा की आपूर्ति करती है. वहीं अभी दवाएं जिलों में पहुंच ही रही है. अभी संबंधित कंपनियों को कोई भुगतान भी नहीं हुआ है.
जवाब नहीं दिया
इधर विभागीय अधिकारियों ने मंत्री व उनके आप्त सचिव (अब हटाये गये) के सवालों को कोई जवाब नहीं दिया है. मंत्री ने सात दिनों में रिपोर्ट मांगी थी. इसकी मियाद 13 जुलाई को समाप्त हो गयी है. निदेशक आयुष से भी कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया है.
इस प्रसंग को अब छोड़ दिया जाये. यही सब न कमी थी इन लोगों में. खैर अब तो हटा ही दिये हैं. गलती मिलेगी तो छोड़ेंगे नहीं.
रामचंद्र चंद्रवंशी, स्वास्थ्य मंत्री
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