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विकास योजनाओं पर अब तक 11.01 फीसदी खर्च
रांची : राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष(20015-16) के दौरान विकास योजनाओं पर 16 जुलाई तक 3488.62 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. यह योजना आकार का 11.01 प्रतिशत है. राज्य के नौ विभागों ने इस अवधि तक अपने योजना आकार के मुकाबले 10 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च की है. सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष […]
रांची : राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष(20015-16) के दौरान विकास योजनाओं पर 16 जुलाई तक 3488.62 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. यह योजना आकार का 11.01 प्रतिशत है. राज्य के नौ विभागों ने इस अवधि तक अपने योजना आकार के मुकाबले 10 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च की है. सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान विकास योजनाओं पर 31690.59 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य तय किया है.
योजना मद की राशि निर्धारित समय सीमा में खर्च करने के उद्देश्य से विभागों की वित्तीय शक्तियां बढ़ाने की वजह से अब तक 1073.28 करोड़ रुपये का आवंटन आदेश जारी किया जा चुका है.
इसमें सरकार ने केंद्रीय योजनाओं पर 1138.66 करोड़ रुपये और राज्य योजना मद से 2349.96 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. केंद्रीय व केंद्र प्रायोजित योजनाओं के फंडिंग पैटर्न के बारे में अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं होने से सरकार को थोड़ी परेशानियों का सामान करना पड़ रहा है.
केंद्र ने जिन आठ केंद्र प्रायोजित योजनाओं में सहायता राशि बंद करने का फैसला किया है,राज्य सरकार उन योजनाओं को जारी रखना चाहती है. इसके लिए राज्य को अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी. इसलिए सरकार ने राजस्व बढ़ाने के मुद्दे पर विचार करने के लिए 21 जुलाई को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की है.
अधिक दाम पर शराब बेचने पर लाइसेंस रद्द होगा
निर्धारित मूल्य से अधिक पर शराब बेचे जाने के आरोप में पकड़े जाने पर उसका लाइसेंस रद्द करने के मुद्दे पर सरकार विचार कर रही है. ऐसे व्यापारियों को तीन बार मौका दिया जायेगा.
पहली बार पकड़े जाने पर निर्धारित दंड लगाया जायेगा. दूसरी बार पकड़े जाने पर दंड की रकम बढ़ जायेगी और तीसरी बार इसी आरोप में पकड़े जाने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा. 21 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होनेवाली बैठक में इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय होगा.
बैठक में राजस्व चोरी रोकने के लिए शराब की बोतल पर होलोग्राम लगाने और बंदोबस्ती में नये सिरे से दुकानों की ग्रुपिंग करने पर विचार किया जायेगा. इसके अलावा बिवरेज कॉरपोरेशन की आमदनी बढ़ाने के उपायों पर भी विचार किया जायेगा. फिलहाल कॉरपोरेशन की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा आयकर के रूप में चुकाना पड़ता है.
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