नया अध्ययन नयी दिल्ली. एक नये अध्ययन में कहा गया है कि भारत में दो तिहाई से अधिक बुजुर्गों का कहना है कि वे अपने परिजनों द्वारा उपेक्षा के शिकार हैं जबकि एक तिहाई बुजुर्गों का दावा है कि उन्हें शारीरिक या मौखिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रांे की तुलना में शहरी क्षेत्रों में बुजुर्गों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ‘ह्यूमन राइट्स ऑफ एल्डरली इन इंडिया: ए क्रिटिकल रिफलेक्शन आन सोशल डेवलपमंेट’ नाम का अध्ययन हाल में एजवेल फाउंडेशन द्वारा जारी किया गया जिसमें देशभर के पांच हजार बुजुर्गों का साक्षात्कार किया गया. कौन लोग थे शामिलइस गहन अध्ययन का उददेश्य सामाजिक बदलावों का परिवारों के बुजुर्गों के जीवन स्तर और जीवन की स्थिति पर पड़ने वाले असर का पता लगाना था. अध्ययन में अपने परिवारांे के साथ रहने वाले 60 वर्ष की उम्र से अधिक के लोगों को शामिल किया गया.क्या निकला निष्कर्ष अध्ययन में कहा गया कि 65.2 प्रतिशत बुजुर्गों ने दावा किया कि बुजुर्ग लोगों को उपेक्षा का सामना करना पड़ता है. आधे से अधिक यानी 54.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बुजुर्गों को परिवारों या समाज में उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है. हर चौथे बुजुर्ग यानी 25.2 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि बुजुर्गों का उनके परिजनों द्वारा शोषण हो रहा है. उम्र के कारण उत्पीड़न झेल रहे 2705 लोगों में से 89.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बुजुर्गों को ज्यादातर वित्तीय कारणांे से इस उम्र में दुर्व्यवहार झेलना पड़ता है.
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65 फीसदी से अधिक बुजुर्ग उपेक्षित
नया अध्ययन नयी दिल्ली. एक नये अध्ययन में कहा गया है कि भारत में दो तिहाई से अधिक बुजुर्गों का कहना है कि वे अपने परिजनों द्वारा उपेक्षा के शिकार हैं जबकि एक तिहाई बुजुर्गों का दावा है कि उन्हें शारीरिक या मौखिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रांे की तुलना में शहरी […]
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