यह अध्ययन इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद की टीम ने किया है. टीम ने रांची के ग्राउंड वाटर क्वालिटी का अध्ययन कर पानी के उपयोग को वर्गीकृत किया है. संस्थान के पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग संकाय के प्रभुनाथ सिंह, अश्विनी कुमार तिवारी और प्रसून कुमार सिंह की टीम ने यह अध्ययन पिछले वर्ष किया था. रिपोर्ट अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय जर्नल ऑफ केम टेक रिसर्च में प्रकाशित भी हुई है.
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बात चिंता की: राजधानी के 67 प्रतिशत क्षेत्रों का पानी ही पीने योग्य शहर के 15% हिस्से का पानी पीने लायक नहीं
रांची: राजधानी के 139 जगहों से लिये गये सैंपल में 67 प्रतिशत क्षेत्रों का पानी ठीक-ठाक पाया गया है, इसमें 18 प्रतिशत जगहों का पानी काफी उच्च गुणवत्ता वाला है, जो उपयोग के लिए काफी बेहतर है. अध्ययन में पाया गया कि 15 प्रतिशत इलाके का ग्राउंड वाटर खराब और संक्रमित है, जिसका ट्रीटमेंट कर […]
रांची: राजधानी के 139 जगहों से लिये गये सैंपल में 67 प्रतिशत क्षेत्रों का पानी ठीक-ठाक पाया गया है, इसमें 18 प्रतिशत जगहों का पानी काफी उच्च गुणवत्ता वाला है, जो उपयोग के लिए काफी बेहतर है. अध्ययन में पाया गया कि 15 प्रतिशत इलाके का ग्राउंड वाटर खराब और संक्रमित है, जिसका ट्रीटमेंट कर ही उपयोग किया जा सकता है.
हरमू के कुछ हिस्से, बांधगाड़ी और लटमा का पानी ठीक नहीं
अध्ययन दल ने राजधानी के हरमू इलाके के कुछ हिस्से का पानी ठीक नहीं पाया है. दल ने बांधगाड़ी और लटमा बस्ती में जल के उपयोग पर चेतावनी भी दी है. कहा गया है कि इन तीनों जगहों पर पानी के ट्रीटमेंट की अत्यधिक जरूरत है. इन जगहों पर उपलब्ध पानी के सीधे इस्तेमाल नहीं करने को कहा गया है, क्योंकि यहां पर रासायनिक अवयवों के अधिक अंश पाये गये हैं.
तीन क्षेत्रों का पानी काफी अच्छा
टीम की तरफ से वाटर क्वालिटी की के सैंपल में से रातू रोड, डोरंडा और हेसाग बस्ती में उपलब्ध जल को काफी अच्छा बताया गया है. इन इलाकों में पीने के पानी में किसी तरह का रसायनिक अव्यय नहीं पाया गया है. दल ने इन इलाकों के पानी का सीधा उपयोग करने की सलाह भी दी है. यहां का पानी भी प्रदूषित नहीं पाया गया है.
बह जाता है बारिश का 80 } पानी
रिपोर्ट में पाया गया कि राजधानी रांची में 90 प्रतिशत पानी बारिश के समय ही प्राप्त होता है. जून से अक्तूबर के बीच होनेवाली बारिश में से पानी का संचयन हो पाता है. 80 फीसदी बारिश का जल नाली, नदियों और अन्य स्त्रोतों से बह जाता है. इसकी वजह से पानी रिचार्ज भी नहीं हो पाता है. छोटानागपुर के पठारी इलाकों का एक बड़ा हिस्सा राजधानी में है. दल की तरफ से रातू रोड, हिनू, डोरंडा, हरमू, मोरहाबादी, बरियातू, बड़गाईं बस्ती, रानी बगान, कांके, बांधगाड़ी, मेकॉन, हवाई नगर, एचइसी, लटमा रोड, हरमू का सर्वेक्षण किया गया है.
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