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अधिसूचना में तकनीकी खामी, जांच शुरू नहीं
संजय रांची : सरकार ने विधानसभा में नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन करने संबंधी अधिसूचना निकाली है. झारखंड उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया है. पर जस्टिस विक्रमादित्य को मिली अधिसूचना तकनीकी रूप से अपूर्ण रहने के कारण, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय […]
संजय
रांची : सरकार ने विधानसभा में नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन करने संबंधी अधिसूचना निकाली है. झारखंड उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया है. पर जस्टिस विक्रमादित्य को मिली अधिसूचना तकनीकी रूप से अपूर्ण रहने के कारण, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग को लौटायी गयी है. दो बार ऐसा हो चुका है. अधिसूचना दुरुस्त न रहने से आयोग ने जांच शुरू नहीं की है.
जारी अधिसूचना में यह जिक्र नहीं है कि जस्टिस को सरकार ने अपने किस शक्ति (पावर) के जरिये अध्यक्ष बनाया है. तकनीकी रूप से ऐसा होना जरूरी है. इससे पहले भी जांच की अधिसूचना निकलने के नौ माह बाद अपने गंतव्य पर पहुंची थी. मंत्रिमंडल सचिवालय व समन्वय विभाग ने सात जुलाई 2014 को विधानसभा में नियुक्ति-प्रोन्नति में बरती गयी अनियमितताओं की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग के गठन संबंधी अधिसूचना निकाली थी.
झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद को ही आयोग का अध्यक्ष बनाया था. इधर सात जुलाई 2014 को निकली यह अधिसूचना मार्च-2015 के अंतिम सप्ताह में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को मिली. इस तरह लगभग नौ माह बाद जांच संबंधी अधिसूचना उनके पास पहुंची. जबकि आयोग का तय कार्यकाल 10 अगस्त 2014 को ही समाप्त हो गया था.
गौरतलब है कि विभिन्न कारणों से राज्य के इस चर्चित नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की जांच में करीब दो वर्ष विलंब हो चुका है. इससे पहले विभाग ने 10 मई 2013 को इस जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था. पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया था.
आयोग का कार्यकाल अंतिम रूप से 10 अगस्त 2014 तय किया गया था. जांच में सहयोग न मिलने पर रिटायर्ड जस्टिस लोकनाथ प्रसाद ने कार्यकाल समाप्त होने (10.8.2014) से पहले 16 नवंबर 2013 को ही आयोग के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था. इसी के बाद जस्टिस विक्रमादित्य की अधिसूचना निकली थी.
अधिसूचना दुरुस्त होकर नहीं पहुंची : जस्टिस विक्रमादित्य
जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने कहा : सात जुलाई 2014 की अधिसूचना उन्हें मार्च 2015 के अंतिम सप्ताह में मिली. इसके पहले अगस्त-2014 में ही आयोग का कार्यकाल समाप्त हो जाने से मैंने सरकार को अधिसूचना लौटा दी. इसके बाद अब नयी अधिसूचना मुङो मिली, पर इसमें तकनीकी कमी है. अधिसूचना दुरुस्त हो कर अब तक मेरे पास नहीं पहुंची है.
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