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विधायक अपना नहीं, जनता का रखें ख्याल
संसदीय लोकतंत्र में सिद्धांत और व्यवहार पर कार्यशाला में बोलीं सुमित्र महाजन जब राजनीति का रास्ता चुना है, तो भूल जायें अपना सुख-दुख रांची : लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्र महाजन ने विधायकों से कहा कि जब आपने राजनीति का रास्ता चुना है, तो अपने सुख-दुख को भूल जायें. जनता हर हाल में अपनी अपेक्षा पूरा […]
संसदीय लोकतंत्र में सिद्धांत और व्यवहार पर कार्यशाला में बोलीं सुमित्र महाजन
जब राजनीति का रास्ता चुना है, तो भूल जायें अपना सुख-दुख
रांची : लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्र महाजन ने विधायकों से कहा कि जब आपने राजनीति का रास्ता चुना है, तो अपने सुख-दुख को भूल जायें. जनता हर हाल में अपनी अपेक्षा पूरा होते देखना चाहती है. इसके लिए आपके हाथ को काम करते रहना चाहिए. पैर हमेशा गतिमान होना चाहिए.
आपको राजनीति के साथ-साथ समाजशास्त्र का ज्ञान भी होना चाहिए. समाजशास्त्र आपको प्राथमिकता चुनने में मदद करेगा. श्रीमती महाजन शनिवार को संसदीय लोकतंत्र में सिद्धांत और व्यवहार तथा जनता के पैसे का प्रबंधन विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं. इसका आयोजन एटीआइ में झारखंड विधानसभा ने किया है.
श्रीमती महाजन ने कहा कि नये के साथ-साथ पुराने विधायकों के लिए भी प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. हर बार कुछ ना कुछ सीखने का मौका मिलता है. जनता को जन प्रतिनिधियों से काफी अपेक्षा होती है. जन प्रतिनिधियों को जनता की अपेक्षा के साथ-साथ सरकारी व्यवस्था भी देखनी चाहिए. विपक्ष में हैं, तो सरकारी की खामियों पर पैनी नजर होनी चाहिए. आजादी के 50 साल से अधिक हो जाने के बाद भी अगर 84 फीसदी जनता गरीब है तो, यह सोचना चाहिए कि कहां खामी रह गयी.
श्रीमती महाजन ने कहा कि जनता सभी चीजों को समझती है. शब्दों का जाल भले ही उनकी समझ में नहीं आये, लेकिन यह समझती है कि काम हो रहा है या नहीं. जन प्रतिनिधियों को यह तय करना चाहिए कि प्राथमिकता क्या है. यह समय से पूरा कैसे होगा.
इसके लिए अंदर से संवेदना होनी चाहिए. पक्ष हो या विपक्ष सभी जन प्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र को प्राथमिकता में रखना चाहिए. इसके लिए मर्यादा नहीं तोड़नी चाहिए. नियम-कानून का भी ख्याल होना चाहिए. आपके ऊपर हजारों आंखें हमेशा लगी रहती हैं. जनता आपकी छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देती है. कईबार हम लोगों को लगता है कि हमारी निजी जिंदगी भी तो है, लेकिन आपने समाजसेवा का व्रत लिया है तो, निभाना पड़ेगा हा.
श्रीमती महाजन ने कहा कि सदन के अंदर चिल्लाने से कुछ नहीं होने वाला है. अपनी बातों को प्रमाणिकता और गंभीरता से रखना चाहिए. जनता अपनी अपेक्षा पूरा होते देखना चाहती है. आप अच्छा करेंगे तो, जनता आपको प्यार देती रहेगी. जन प्रतिनिधियों को अपना फंड पारदर्शिता से खर्च करना चाहिए.
48 विधायकों ने लिया कार्यशाला में हिस्सा
82 सदस्यों वाले सदन में 48 सदस्यों ने विधानसभा द्वारा आयोजित इस कार्यशाला के उदघाटन सत्र में हिस्सा लिया. कार्यक्रम शुरू होने के समय करीब दो दर्जन विधायक ही आयोजन स्थल में थे. कई मंत्री और विधायक कार्यशाला शुरू होने के बाद शामिल हुए. अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन विधानसभा के सचिव सुशील कुमार सिंह तथा संचालन राजश्री ने किया.
सदन में आनेवाले कानून जानें : राज्यपाल
राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं. राज्य के सदन में 81 में से 32 नये विधायक हैं. विधायकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जनता की जरूरतें हैं क्या है. सदन में लाये जाने वाले कानून के प्रारूप का गंभीरता पूर्वक अध्ययन करना चाहिए. इससे बेहतर कानून बनाने में सहायता मिलेगी. बेहतर सुझाव देने पर कानून में बदलाव हो सकता है. सदस्यों को वित्तीय प्रबंधन की जानकारी भी होनी चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि एक तरफ संविधान है, दूसरी तरफ व्यवहार. संविधान में सिद्धांत की बात है. सिद्धांत आज व्यवहार के सामने असहाय हो गया है. हमारे सामने संविधान को बचाते हुए व्यावहारिक काम करने की चुनौती है. आज पढ़े लिखे लोग राजनीति में नहीं आना चाहते हैं. यह समझ में नहीं आता है, ऐसा क्यों है. राजनेताओं का जनता से विश्वास उठ रहा है. जनता का राजनेताओं से विश्वास उठ रहा है. यह संकेत अच्छे नहीं हैं.
यह भी सोचने की जरूरत है कि क्या सिद्धांत, यह अधिकार देता है कि व्यवहार के लिए संविधान को ताक पर रख दिया जाये. लोकतंत्र बचाने की चुनौती हमारे सामने है. यह तय करना चाहिए लोकतंत्र बचाने में हमारी भूमिका क्या होगी. आज जो स्थिति है, यह बरकरार रही तो डेमोक्रेसी खतरे में पड़ जायेगी.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि लोकतंत्र को जिस रूप में परिभाषित किया गया है, उस रूप में इसका क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण काम है. सांसद या विधायक लोक तंत्र के स्तंभ होते हैं.
लेकिन, यहीं लोग कभी-कभी लोकतांत्रिक व्यवस्था में बाधा डालने की कोशिश करते हैं. सदन की गरिमा बनाये रखने की जिम्मेदारी भी हम लोगों की ही है. सदन के अंदर दूसरे के नजरिये का भी ख्याल रखा जाना चाहिए. निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ राज्य और राष्ट्रहित का भी ख्याल रखा जाना चाहिए.
सीएम ने कहा कि राज्य में 2018 तक नया विधानसभा भवन बनकर तैयार हो जायेगा. यहां सूचना तकनीकी का बेहतर इस्तेमाल होना चाहिए. ऑनलाइन सवाल-जवाब की व्यवस्था होनी चाहिए. समितियों के प्रतिवेदन भी ऑनलाइन किये जा सकते हैं. सीएम ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है. राज्य में एडवांस बजट की प्लानिंग नहीं होती थी. इस बार सितंबर माह से ही अगले साल के बजट की तैयारी हो जायेगी.
संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा कि इस तरह का आयोजन कार्यकुशलता बढ़ाने में सहायक होगा. आज 189 देशों में संसदीय प्रणाली चल रही है. 15 से लेकर 2980 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा विश्व में है. भारत सहित 150 देशों के राज्यों में भी प्रतिनिधि सभा है. असल में विधायिका और कार्यपालिका एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. भारत की संसदीय प्रणाली सबसे अच्छा शासन देनेवाली है.
असहमति के अधिकार को केवल मान्यता दी गयी है. इसको सम्मान भी मिलना चाहिए. इससे यह प्रणाली और बेहतर काम कर सकेगी. समितियों के दायित्वों और अधिकारों के बीच भरोसे का माहौल होना चाहिए. अगर लगता है कि समिति की अनुशंसा सरकार नहीं लागू कर पा रही है, तो यह सरकार को स्पष्ट करना चाहिए. झारखंड में भी एक संसदीय शोध संस्थान बनाया जाना चाहिए.
मंत्रिपरिषद नहीं करती विधानमंडल का सम्मान
विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद पहली बार इस तरह का आयोजन हो रहा है. इससे विधायकों का ज्ञान बढ़ेगा.
आज मंत्रिपरिषद विधानमंडल का सम्मान करना उचित नहीं समझती है. समिति की सिफारिशें सरकार के पास घूमते रहती है. इससे विधायी संस्थाओं की भूमिका पर सवाल उठते हैं. विधायिका पर न्यायपालिका का भी हस्तक्षेप होने लगा है. इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.
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