अपग्रेड के लिए मिला तीन करोड़ रुपया बैंक में है जमावरीय संवाददाता, रांचीझारखंड की जेलों में लगे जैमर के बावजूद अपराधी जेल से बाहर बातें कर रहे हैं. इसे रोक पाने में जेल प्रशासन विफल है. इसकी वजह यह है कि वर्ष 2010 में सरकार ने राज्य की जेलों में 45 मोबाइल जैमर लगाया था. सभी मोबाइल जैमर टू-जी फ्रीक्वेंसी को रोकने के लिए कारगर है. इसी साल टेलीफोन कंपनियों ने थ्री-जी सुविधा की शुरुआत की. इसके बाद अपराधी आराम से थ्री-जी सिम का इस्तेमाल करने लगे. पांच साल में भी जेल प्रशासन की ओर से जेलों में लगे मोबाइल जैमर को अपग्रेड नहीं किया जा सका. सरकार ने मोबाइल जैमर को अपग्रेड करने के लिए जेल प्रशासन को तीन करोड़ रुपया उपलब्ध कराया, लेकिन पैसे का इस्तेमाल ही नहीं हुआ. अपग्रेड करने के लिए मिली राशि बैंक में पड़ा हुआ है. अपग्रेड नहीं होने की वजह यह थी कि जैमर को लगाने के बाद उसके मेंटेनेंस का काम कभी हुआ ही नहीं. जानकारी के मुताबिक सरकार ने जेलों में जैमर लगाने का टेंडर तो किया, लेकिन मेंटेनेंस का काम किसी कंपनी को नहीं दिया. मेंटेनेंस नहीं होने के कारण कई जेलों का जैमर बंद भी हो गया. हालांकि कुछ जेलों में लगे जैमर को दूसरे मद से मेंटेनेंस कराया जाता रहा है.
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पांच साल में अपग्रेड नहीं हुआ जेलों में लगा जैमर
अपग्रेड के लिए मिला तीन करोड़ रुपया बैंक में है जमावरीय संवाददाता, रांचीझारखंड की जेलों में लगे जैमर के बावजूद अपराधी जेल से बाहर बातें कर रहे हैं. इसे रोक पाने में जेल प्रशासन विफल है. इसकी वजह यह है कि वर्ष 2010 में सरकार ने राज्य की जेलों में 45 मोबाइल जैमर लगाया था. […]
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