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230 स्कूलों में जनजातीय भाषा के शिक्षकों के पद नहीं

रांची : राज्य के प्लस टू उच्च विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक नहीं है. जबकि इंटरमीडिएट स्तर पर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. राज्य में 230 प्लस टू उच्च विद्यालय हैं. किसी भी विद्यालय में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक नहीं है. राज्य गठन के बाद प्लस टू […]

रांची : राज्य के प्लस टू उच्च विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक नहीं है. जबकि इंटरमीडिएट स्तर पर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. राज्य में 230 प्लस टू उच्च विद्यालय हैं. किसी भी विद्यालय में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक नहीं है.
राज्य गठन के बाद प्लस टू उच्च विद्यालय में 11 विषयों के शिक्षकों के पद सृजित किये गये, पर इनमें जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के पदों का सृजन नहीं हुआ. राज्य गठन के बाद प्लस टू उच्च विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति भी हुई है. राज्य में काफी दिनों से प्लस टू उच्च विद्यालय में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक के पद सृजित करने की मांग हो रही है.
पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा में शिक्षकों के पद स्वीकृति करने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा था. इस संबंध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
प्लस टू स्कूल के अलावा इंटर कॉलेजों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के द्वितीय पद नहीं है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा वर्ष 2009 में द्वितीय पद के लिए प्रस्ताव मानव संसाधन विकास विभाग को भेजा गया था लेकिन विभाग द्वारा इसे स्वीकृति नहीं दी गयी.

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