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मास्टर प्लान की बाट जोहती राजधानी
सतीश, दिनेश राजधानी बनने के बाद भी रांची में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. राजधानी के अनुरूप न तो यहां सड़कें हैं और न ही अन्य सुविधाएं. शहर में समुचित विकास कार्य नहीं हो पा रहा है. जाम, गंदगी, टूटी सड़कें, अव्यवस्थित आवासीय कॉलोनियां रांची की पहचान बनी हुई हैं. राजधानी बनने के 15 साल […]
सतीश, दिनेश
राजधानी बनने के बाद भी रांची में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. राजधानी के अनुरूप न तो यहां सड़कें हैं और न ही अन्य सुविधाएं. शहर में समुचित विकास कार्य नहीं हो पा रहा है. जाम, गंदगी, टूटी सड़कें, अव्यवस्थित आवासीय कॉलोनियां रांची की पहचान बनी हुई हैं. राजधानी बनने के 15 साल बाद भी शहर का जितना विस्तार होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है. शहर के विकास के लिए मास्टर प्लान का प्रस्ताव बन कर तैयार है, लेकिन तीन साल बाद भी लागू नहीं हो पाया है. मास्टर प्लान लागू होने के बाद शहर का दायरा रिंग रोड तक बढ़ जायेगा.
लोगों का मिलेगा सस्ता आवास : केंद्र सरकार द्वारा 2022 तक पूरे देश में एफोर्डेबल हाऊसिंग (सस्ता आवास) की योजना बनायी गयी है. आज की परिस्थिति में रांची में यह संभव नहीं है. नये मास्टर प्लान में रांची का विस्तार होगा. नये आवासीय क्षेत्र जुड़ेंगे. एग्रीकल्चर भूमि पर नक्शे पास हो पायेंगे. जमीन की उपलब्धता बढ़ने पर नये-नये प्रोजेक्ट आ सकेंगे. इससे लोगों को सस्ते आवास मिलने का सपना पूरा हो सकेगा.
केंद्र का फंड मिलेगा, बढ़ेगा राजस्व : निगम क्षेत्र का दायरा बढ़ने के साथ ही सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा. अभी रांची नगर निगम को केवल होल्डिंग टैक्स से लगभग 20 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है. शहर का दायरा बढ़ने के साथ ही यह राजस्व बढ़ कर 100 करोड़ रुपये को पार कर जायेगा. इसके अलावा शहर के विकास के लिए केंद्र सरकार की राशि भी मिलेगी, जो मास्टर प्लान लागू नहीं होने के कारण लटकी है.
पांच गुणा बढ़ जायेगा शहर
1983 में यानी 32 साल पहले रांची का म्यूनिसिपल एरिया 120 वर्ग किमी तय किया गया था, वह आज भी उतना ही है. 1983 का मास्टर प्लान भी पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया. अब नया मास्टर प्लान का प्रस्ताव तैयार हुए भी तीन साल बीत गये हैं, वह भी अभी तक लागू नहीं हो पाया है. इसके लागू होने के साथ ही रांची शहर की परिधि पांच गुणा बढ़ कर 640 वर्ग किमी हो जायेगी. आवासीय, व्यावसायिक, चिकित्सीय सुविधा, पार्क, ट्रांसपोर्ट नगर आदि का स्थल चिह्न्ति रहेगा. अव्यवस्थित तरीके से निर्माण कार्य रुकेगा. पुराने मास्टर प्लान में अपर बाजार, मेन रोड व कचहरी रोड को ही व्यावसायिक स्थल के रूप में माना गया था, जबकि नये मास्टर प्लान में हर मुख्य सड़क के आसपास व्यावसायिक स्थल चिह्न्ति किये गये हैं.
शहर के विकास के लिए जरूरी मास्टर प्लान 2037 जल्द लागू करना चाहिए. इसके लागू करने के साथ ही जोनल मास्टर प्लान और मास्टर प्लान इंप्लिमेंटेशन ऑथोरिटी भी बनायी जानी चाहिए. ऐसा नहीं होने पर 1983 के मास्टर प्लान की तरह इसे भी लागू नहीं किया जा सकेगा.
चंद्रकांत रायपत, पूर्व अध्यक्ष, क्रेडाई
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