Advertisement
छह माह में 90 दिन ही रहीं डय़ूटी पर
कार्यसंस्कृति : महिला चिकित्सकों के कार्यो की समीक्षा में खुलासा संजय रांची : रांची जिले के विभिन्न सरकारी अस्पताल-स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत महिला चिकित्सक बगैर पूरा काम किये वेतन ले रही हैं. गत छह माह में इन महिला चिकित्सकों का औसत कार्य दिवस 80-90 दिन ही है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ओरमांझी में कार्यरत डॉ श्रुति […]
कार्यसंस्कृति : महिला चिकित्सकों के कार्यो की समीक्षा में खुलासा
संजय
रांची : रांची जिले के विभिन्न सरकारी अस्पताल-स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत महिला चिकित्सक बगैर पूरा काम किये वेतन ले रही हैं. गत छह माह में इन महिला चिकित्सकों का औसत कार्य दिवस 80-90 दिन ही है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ओरमांझी में कार्यरत डॉ श्रुति ऋचा ने तो कुल 180 दिन में सिर्फ 42 दिन ही काम किया है.
स्वास्थ्य सचिव के विद्यासागर ने जिले के कुल 10 फस्र्ट रेफरल यूनिट (जहां सिजेरियन होता है) की समीक्षा की थी. इसी में इस बात का खुलासा हुआ है. कामकाज की स्थिति देख सचिव बेहद नाराज हुए. चिकित्सकों खास कर डॉ ऋचा से उन्होंने कहा कि आप घर जा कर खुद सोचें कि सरकार आपको जो पैसा दे रही है, उसके बदले आप क्या कर रही हैं.
गौरतलब है कि चिकित्सकों का वेतन करीब 1.25 लाख रु प्रति माह है. सचिव ने सिविल सजर्न को निर्देश दिया कि सप्ताह भर के अंदर सभी एफआरयू में बायोमिट्रिक्स अटेंडेंस मशीन लगायी जाये. इससे पहले रांची के सिविल सजर्न डॉ गोपाल श्रीवास्तव ने एफआरयू में तैनात महिला चिकित्सकों का स्व घोषणा (सेल्फ डिक्लियरेशन) पत्र सचिव को सौंपा. इसमें कुल 33 चिकित्सकों में से पीएचसी, कांके में कार्यरत डॉ शोभना टोप्पो को छोड़ किसी ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने की बात स्वीकार नहीं की है, जबकि इस सूची में शामिल डॉ किरण कुमारी चंदेल, डॉ तनुश्री चक्रवर्ती व कुछ अन्य चिकित्सक निजी नर्सिग होम में प्रैक्टिस करती हैं.
उसी तरह सदर अस्पताल की अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एपीएचसी-1) डॉ वीणा सिन्हा ने अकेले स्वीकार किया कि उनका अपना निजी क्लिनिक है, जबकि स्व घोषणा करने वाली राजकीय औषधालय डोरंडा की डॉ कुमार प्रभावती सिन्हा ने यह बात छुपा ली कि नामकुम के जोरार में उनका अपना प्रिया नर्सिग होम है.
समीक्षा में यह बात भी स्पष्ट हुई कि जिले के एफआरयू बेहतर कार्य नहीं कर रहे हैं. पीएचसी नामकुम और डोरंडा राजकीय औषधालय में पिछले कुछ माह में एक भी ऑपरेशन नहीं किये गये हैं, जबकि एफआरयू में सजर्न, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ व निश्चेतक (एनेसथेटिस्ट) नियुक्त होते हैं.
सिर्फ ओपीडी का है आंकड़ा
चिकित्सकों के ओपीडी का आंकड़ा हमने दिया है. ओटी व फिल्ड विजिट का ब्योरा उपलब्ध नहीं है. चिकित्सकों का कहना है कि उन्होंने रिपोर्ट में दी गयी दिनों की संख्या से अधिक डय़ूटी की है.
डॉ गोपाल श्रीवास्तव, सिविल सजर्न रांची
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement