मनोज सिंह
रांची : राज्य में सब्जियों का उत्पादन नहीं बढ़ रहा है. पिछले तीन सालों से उत्पादन की यही स्थिति है. सब्जियों का हब कहे जानेवाले इस राज्य में उत्पादन का नहीं बढ़ना चिंता की बात बतायी जा रही है.
कई प्रमुख सब्जियों के उत्पादन में कमी भी आयी है. भारत सरकार से जारी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है. राज्य के कई जिलों में टमाटर की बड़ी संख्या में खेती होती थी. पिछले तीन साल से टमाटर की उत्पादकता घट गयी है. वहीं भिंडी और प्याज की उत्पादकता बढ़ी है. 2011-12 में 295 हजार टन बैगन का उत्पादन हुआ था. 2013-14 में यह घट कर 272 टन हो गया है.
183 करोड़ खर्च हो चुका है उद्यान विकास पर: राज्य में उद्यान (सब्जी और फल-फूल) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 183 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. पूरी राशि केंद्र सरकार ने दी है. उद्यान के विकास के लिए राज्य में उद्यान मिशन की स्थापना भी की गयी है. उद्यान मिशन में स्थायी परियोजना निदेशक की नियुक्ति भी की गयी है.
किसानों के पास सब्जी प्रोसेसिंग का विकल्प नहीं : डॉ केके झा
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग के अध्यक्ष डॉ केके झा बताते हैं कि यह सच है कि हम सब्जी उत्पादन में स्थिरता (सेचुरेशन) की स्थिति में पहुंच गये हैं. इसके पीछे कई कारण हैं.
किसानों के पास सब्जी प्रोसेसिंग का विकल्प नहीं है. खाद, बीज और मजदूरी महंगी हो गयी है. उत्पादन हो जाने पर रखने की व्यवस्था नहीं है. ज्यादा उत्पादन कर देने पर सब्जी फेंक देना पड़ता है. इस कारण किसानों की रुचि ज्यादा उत्पादन में नहीं है. हम आज भी ब्लॉक स्तर तक कोल्ड स्टोरेज नहीं बना पाये हैं. इसमें विश्वविद्यालय, सरकार और किसानों की भूमिका भी है.