शकील अख्तर
रांची : राज्यसभा चुनाव 2012 के पांच माह बाद गोड्डा के तत्कालीन विधायक संजय प्रसाद यादव की पत्नी कल्पना देवी ने 1.5 करोड़ रुपये में जमीन खरीदी. यह जमीन पहले संजय के पिता चंद्रशेखर प्रसाद यादव के नाम खरीदने के लिए केडिया बंधुओं के साथ साधारण एकरारनामा हुआ था. बाद में यह जमीन कल्पना देवी के नाम खरीदी गयी. उनके नाम एक बीघा चार कठ्ठा जमीन का निबंधन गोड्डा निबंधन कार्यालय में हुआ.
नौ अक्तूबर 2012 को कल्पना देवी के नाम खरीदी गयी जमीन से संबंधित दस्तावेज में इसकी कीमत 1.5 करोड़ रुपये बतायी गयी है. गोड्डा अंचल टाउन (थाना संख्या 502) की इस जमीन का खाता संख्या 269,260,271,181,180 और 295 है. जमीन की बिक्री राम दास नामक व्यक्ति ने कल्पना देवी के नाम की है. यह जमीन गोड्डा के केडिया बंधुओं की थी. केडिया बंधुओं ने यह जमीन पहले राम दास को दी. इसके बाद राम दास ने कल्पना देवी से जमीन की बिक्री की.
हालांकि इस जमीन की बिक्री के लिए केडिया बंधुओं ने तत्कालीन विधायक संजय प्रसाद यादव के पिता के साथ चंद्रशेखर प्रसाद यादव के साथ एकरारनामा किया था.
एकरारनामा पर गोड्डा के आशीष केडिया, संतोष केडिया और शंकर केडिया ने दस्तखत किये थे. गोड्डा अंचल की इस जमीन को 1.5 करोड़ रुपये में तत्कालीन विधायक के पिता से बेचने का करार किया गया था. इस साधारण एकरारनामे पर केडिया बंधुओं ने तो हस्ताक्षर किये थे, लेकिन चंद्रशेखर प्रसाद ने हस्ताक्षर नहीं किया था. एकरारनामे पर खरीदार द्वारा हस्ताक्षर नहीं करने का मुख्य कारण कानूनी दावं- पेच से बचना बताया जाता है.
अगर यह साधारण एकरारनामा उस वक्त किसी के हाथ लग जाता, तो चंद्रशेखर प्रसाद यादव यह कह सकते थे कि एकरारनामे पर उनका हस्ताक्षर नहीं है. इसलिए यह सही नहीं है. बाद में केडिया बंधुओं द्वारा जमीन बेचने से आना-कानी करने पर वह एकरारनामे पर हस्ताक्षर कर केडिया बंधुओं पर दबाव बनाते. पर, अब यह जमीन संजय प्रसाद यादव की पत्नी के नाम खरीदे जाने से इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन विधायक द्वारा किसी महत्वपूर्ण बात को छिपाने की कोशिश करने का संकेत मिलता है.
दूसरी बार राज्यसभा चुनाव तीन मई 2012 को हुआ था (इसे बाक्स बना लें)
झारखंड से राज्यसभा की दो सीटों के लिए मार्च 2012 को चुनाव हुआ था. बाबूलाल मरांडी और अजय कुमार ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका जतायी थी. चुनाव के दिन आयकर विभाग द्वारा एक निर्दलीय प्रत्याशी के रिश्तेदार की गाड़ी से 2.15 करोड़ रुपये जब्त किये गये थे. इसके बाद चुनाव आयोग ने 31 मार्च को हुए राज्यसभा चुनाव को रद्द कर दिया था.
तीन मई 2012 को दोबारा चुनाव हुआ था. हाइकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद हॉर्स ट्रेडिंग मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था. इस आदेश के आलोक में सीबीआइ ने मामले की जांच की. सीबीआइ राज्यसभा चुनाव 2010 में हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों की भी जांच कर रही है. दोनों ही मामलों में तत्कालीन विधायक संजय प्रसाद यादव की भूमिका संदेहास्पद है.