रांची: राज्य के पूर्व मंत्रियों, अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा अज्ञात व्यक्तियों ने भी सरकारी आवासों पर कब्जा कर रखा है. सरकार के स्तर पर इन मकानों को खाली कराने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. निवर्तमान मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के अलावा किसी अन्य मंत्री द्वारा बंगला खाली किये जाने की सूचना सरकार के पास नहीं है.
निवर्तमान सरकार के मंत्री भी सरकारी बंगले पर कब्जा बनाये हुए हैं. नियमानुसार पद छोड़ने या पद से हटाये जाने या सरकार के इस्तीफे से मंत्री पद जाने के बाद वे अपने नाम आवंटित बंगलों में अधिकतम तीन माह तह ही रह सकते हैं. इसके बाद रहने से (अवैध घोषित अवधि) उन पर बाजार दर पर किराया और दंड वसूलने का प्रावधान है. बाजार दर पर किराया और दंड की रकम संबंधित बंगले से लिए सरकार द्वारा निर्धारित दर का 15 गुना माना जाता है. अर्जुन मुंडा के त्यागपत्र देने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद सभी मंत्रियों का पद समाप्त हो गया है.
हालांकि, विधानसभा भंग नहीं होने से वे अभी विधायक हैं और नियमानुसार विधायक आवास में रहने को अधिकृत हैं, पर सरकार ने अब तक न तो इन पूर्व मंत्रियों के नाम विधायक आवास आवंटित किया और न ही बंगला खाली कराने के लिए कदम उठाया है.
दूसरी तरफ, सरकार ने अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा अवैध तरीके से रह रहे मकानों के लिए सिर्फ दंड सहित किराये की गणना की है. इन अधिकारियों से वसूली या मकान खाली कराने के लिए कदम नहीं उठाया है. सरकार द्वारा तैयार सूची का सबसे रोचक पहलू यह है कि एक अज्ञात व्यक्ति पर भी 20 हजार 880 रुपये किराया और दंड के रूप में निर्धारित है. इस अज्ञात व्यक्ति ने आवास संख्या 181/33 में एक साल से ताला बंद कर रखा है. वहीं आवास संख्या 186/33 में किसी सफाइवाले ने ताला बंद कर रखा है.
नियमानुसार ‘सी टाइप’आवास वैसे कर्मचारियों को मिलता है, जिनका वेतनमान 9300- 34800 और ग्रेड-पे 5400 रुपये तक हो. 56 सेट की बी टाइप आवास संख्या 46/56 पर भी एक अज्ञात व्यक्ति ने 10 माह से कब्जा कर रखा है. सिर्फ इतना ही नहीं, अरगोड़ा की सरकारी आवास संख्या 1/9 में किसी साधु बाबा ने भी 10 माह से अवैध कब्जा कर रखा है. सरकार ने पुजारी बाबा पर भी 12900 रुपये किराया और दंड लगाया है.