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भारत सर्न की सदस्यता मांगेगा

नयी दिल्ली. प्रतिष्ठित शोध संस्थान सीइआरएन की सदस्यता हासिल करने के लिए भारत की बहुप्रतीक्षित प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रतन कुमार सिन्हा ने कहा कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने दो महीने पहले सदस्यता ग्रहण करने के लिए मंजूरी दे दी है. सर्न में भारत की सदस्यता […]

नयी दिल्ली. प्रतिष्ठित शोध संस्थान सीइआरएन की सदस्यता हासिल करने के लिए भारत की बहुप्रतीक्षित प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रतन कुमार सिन्हा ने कहा कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने दो महीने पहले सदस्यता ग्रहण करने के लिए मंजूरी दे दी है. सर्न में भारत की सदस्यता को मंजूरी देने की प्रक्रिया बजट कारणों से संप्रग के दिनों से ही लंबित थी. परमाणु शोध के लिए यूरोपीय संगठन सीइआरएन दुनिया की सबसे बड़ी अणु भौतिकी प्रयोगशाला का संचालन करता है. सूत्रों ने बताया कि पिछले वर्ष पाकिस्तान को सदस्यता मिलने के बाद चीजें तेजी से बदलनी शुरू हो गयीं. परियोजना में सबसे बड़ी बाधा किसी भी देश द्वारा दी जानेवाली वित्तीय सहायता को लेकर है. इसे जीडीपी और कई अन्य मानकों से तय किया जाता है. सर्न में भारत का योगदान प्रतिवर्ष 40 से 60 करोड़ रुपये माना जा रहा है. भारत संगठन से 1970 से ही जुड़ा हुआ है और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के शोधकर्ता 1970 से ही सर्न के प्रयोगों में हिस्सा लेते रहे हैं. इंदौर के संेटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी ने 1990 के दशक में लार्ज इलेक्ट्रॉन पोजीट्रॉन पर हार्डवेयर की आपूर्ति की थी.

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