यही वजह है कि चार बार टोल वसूली के लिए टेंडर निकालने के बावजूद टोल ऑपरेटर नहीं मिला. अब जाकर पांचवी बार टेंडर निकाला गया है. ऐसे में टोल वसूली का मामला सरकार के लिए सिर दर्द बन गया है.
जानकारी के मुताबिक इस सड़क का निर्माण एन्यूटी सिस्टम के तहत कराया गया था. इसकी जिम्मेवारी जेएआरडीसीएल को दी गयी थी. यानी जेएआरडीसीएल के माध्यम से सड़क बनवायी गयी थी. जेएआरडीसीएल ने एजेंसियों के माध्यम से सड़क बनवायी. सिस्टम के तहत एजेंसी को तो राशि मिल रही है, पर टोल वसूली से सरकार को राजस्व की प्राप्ति नहीं हो पा रही है. फिलहाल सरकार दो वर्षो के लिए टोल ऑपरेटर ढूंढ़ रही है, ताकि सालाना तय राशि वसूल कर सरकार को दी सके.राजस्व की वसूली के लिए ऐसा किया जा रहा था, लेकिन टोल ऑपरेटर नहीं मिलने से मामला फंस गया है.