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जेएसइबी कार्य करने में अक्षम : कोर्ट

रांची: हाइकोर्ट ने गुरुवार को सिमडेगा के गांवों के विद्युतीकरण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य विद्युत बोर्ड (जेएसइबी) की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि झारखंड में कुछ होनेवाला नहीं है. केंद्र सरकार राज्य को क्यों पैसा देती है? केंद्र सरकार को अपनी योजनाएं […]

रांची: हाइकोर्ट ने गुरुवार को सिमडेगा के गांवों के विद्युतीकरण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य विद्युत बोर्ड (जेएसइबी) की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि झारखंड में कुछ होनेवाला नहीं है. केंद्र सरकार राज्य को क्यों पैसा देती है?

केंद्र सरकार को अपनी योजनाएं स्वयं लागू करनी चाहिए. सिमडेगा में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को लागू करने के लिए बोर्ड ने सबसे खराब व गरीब कंपनियों का चयन किया. चयन के मामले में अधिकारियों की सोच निमA स्तरीय रही. वर्ष 2005 में शुरू हुई योजना अब तक पूरी नहीं हो पायी है. केंद्र सरकार योजना के लिए राशि दे रही है, वह भी पूरा नहीं हो पाया. सिमडेगा के गांवों में 18 माह में बिजली पहुंच जानी चाहिए थी. आठ साल बाद भी गांव अंधेरे में है. यह राज्य के लिए दुर्भाग्य की बात है. मामले की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि गांवों में कैसे बिजली पहुंचायेंगे. खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बोर्ड कार्य करने में सक्षम नहीं है. अधिकारी योजनाओं के प्रति सचेत नहीं रहते हैं. कई योजनाएं तो प्रारंभ नहीं हो पाती है. मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.

पोल व तार की चोरी हो जाती है. इसे बाजार में भी बेचा जाता है. योजना समय पर पूरी नहीं हो पाती. अब जेएसइबी को बंद कर देना चाहिए. बहुत हो गया (एनफ इज एनफ). अक्षम अधिकारियों की वजह से योजनाओं का पूर्णत: क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. जनता लाभ से वंचित रहती है. खंडपीठ ने डीवीसी से पूछा कि आठ साल बाद भी योजना का काम क्यों पूरा नहीं हुआ.

बताया गया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. इससे काम प्रभावित हुआ.इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता जेजे सांगा ने खंडपीठ को बताया कि वर्ष 2005 में सिमडेगा के गांवों में विद्युतीकरण का काम दिया गया. इसे पेटी कांट्रेक्ट पर ज्योति स्ट्रर लिमिटेड को दिया गया. ज्योति स्ट्रर ने भी स्वयं काम नहीं कर स्थानीय ठेकेदारों को काम आवंटित कर दिया. 40 गांवों में बिजली पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. बिजली तो नहीं मिली, बिना कनेक्शन के ही बिल भेज दिया गया है. गांवों में पोल व तार भी नहीं है. उन्होंने पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी हर्ष कुमार बारला ने जनहित याचिका दायर कर गांवों में शीघ्र बिजली पहुंचाने के लिए उचित आदेश देने का आग्रह किया है. साथ ही गड़बड़ियों की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है.

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