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नक्सली बताये जाने से नाराज ग्रामीण पहुंचे नामकुम थाना, कहा निर्दोष को पुलिस न करे परेशान
नामकुम: पुलिस और नक्सली मुठभेड़ में निदरेष ग्रामीणों को फंसाने के मामले में शुक्रवार को नामकुम प्रखंड के हेसो, गरुड़पीढ़ी, बरडंडा, फतेहपुर, जुगटोली, नीमटोला समेत कई गांवों के लोग नामकुम थाना पहुंचे. ग्रामीणों ने नामकुम थाना प्रभारी सपन कुमार महथा से भेंट की और पुलिस की कार्रवाई को गलत बताया. ग्रामीणों का कहना था कि […]
नामकुम: पुलिस और नक्सली मुठभेड़ में निदरेष ग्रामीणों को फंसाने के मामले में शुक्रवार को नामकुम प्रखंड के हेसो, गरुड़पीढ़ी, बरडंडा, फतेहपुर, जुगटोली, नीमटोला समेत कई गांवों के लोग नामकुम थाना पहुंचे. ग्रामीणों ने नामकुम थाना प्रभारी सपन कुमार महथा से भेंट की और पुलिस की कार्रवाई को गलत बताया. ग्रामीणों का कहना था कि वर्ष 2011 में हुई मुठभेड़ के मामले में जिन ग्रामीणों को फंसाया गया है, वे निदरेष हैं. पुलिस उन्हें तंग करना बंद करे. ग्रामीणों ने मामले की सीबीआइ जांच की मांग की. ग्रामीणों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री और पुलिस के सीनियर अफसरों को भी आवेदन दिया है.
उल्लेखनीय है कि गत पांच मई को प्रभात खबर में (ग्रामीणों को 40 माह बाद पता चला कि वे नक्सली हैं) शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी. ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस 28 नवंबर 2011 को हेसो गांव के निकट पहाड़ी पर पुलिस और नक्सली कुंदन पाहन के दस्ते के बीच मुठभेड़ हुई थी. मुठभेड़ में पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली थी. बाद में गांव के बुधराम मुंडा को नक्सली बता कर पकड़ा गया. वहीं नामकुम थाने में केस दर्ज करने के बाद उसे जेल भेजा गया. मामला न्यायालय में विचाराधीन है.
पिछले माह पुलिस ने हेसो गांव के रामसत्य मुंडा को भी इस मामले में फरार दिखाते हुए उसके घर पर इस्तेहार चिपकाया है. रामसत्य मुंडा पारा टीचर हैं. इसके अलावा संतोष मुंडा, मंगल मुंडा और पुरेंद्र मुंडा को गिरफ्तार करने की धमकी दी जा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि इन लोगों का कुंदन पाहन या किसी उग्रवादी संगठन से कोई रिश्ता नहीं है.
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